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......और अब मुलाकात न हो सकेगी

पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आज एक बार पुनः लखनऊ महोत्सव का शैक्षिक भ्रमण किया। कुछ लोगों से मिल बातचीत रिकॉर्ड की तो कुछ लोगों से मिल बौद्धिक क्षमता को बढ़ाया लेकिन वापस आते वक्त बस में जब मोबाइल पर जब अंगुलियां थिरक रही थी तब अचानक से एक ऐसा झटका लगा जिसने दिलों दिमाग को हिला कर रख दिया क्योंकि.....
फेसबुक ने एक ऐसी पोस्ट तक पहुँचा दिया था जिससे संज्ञान में आया कि ख्यातिलब्ध जनवादी , कवि, लेखक एवं व्यंगकार परमादरणीय श्री दिनेश वैस जी का असामयिक निधन हो गया। इप्टा कोंच के सरंक्षक एवं प्रांतीय सचिव डॉ नईम बॉबी के माध्यम से आपसे मुलाकात हुई थी। 
झांसी से विलासपुर (छत्तीसगढ़) तक की साथ में लंबी यात्रा, तीन दिन का विलासपुर प्रवास एवं फिर वँहा से वापसी, झांसी में बीकेडी में इप्टा के राज्य सम्मेलन, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय का पुस्तक मेला आदि ऐसे यादगार अवसर है जिन आपका सानिध्य और स्नेह एक लेखक का दूसरे नवोदित लेखक के तौर पर न होकर बल्कि पुत्रवत था।
मुझे अच्छे से याद है विलासपुर में प्रवास के दरम्यान जब रात्रि के समय दूर दूर से पधारी साहित्य जगत की नामचीन विभूति कवि गोष्ठी की योजना के साथ एक कमरे में इकट्ठी हुई तो उस गोष्ठी में आपने प्राथमिकता दिलाते हुए अत्याधिक रचना पाठ करने के लिए प्रेरित किया क्योंकि उस समय मै एक ऐसे दुर्भाग्यपूर्ण हालातों से बाहर निकला ही निकला था जिसमें मेरी एक रचना को आधारहीन तरीके से स्वार्थपूर्ति हेतु देशद्रोही की तथाकथित श्रेणी में खड़ा कर दिया गया था। आपके स्मरण में यह घटना थी मन मे बैठे डर को बाहर निकालने और मेरे हौसले को मजबूत करने के उद्देश्य से आपने उसी विवादित रचना को उस कवि गोष्ठी में पढ़ने को कहा गया आदेश का पालन कर डरते हुए मैने वह रचना पढ़ी लेकिन जो सोच रहा था हुआ उसका एक दम उल्टा । अधिकांश लोगों ने मेरी उस रचना को सराहा।
सिर्फ इतना ही नही उस गोष्ठी में मौजूद एक सम्पादक महोदय सुबह चाय के वक्त मिले तो उन्होंने हौसला अफजाई करते हुए कहा कि "कौन कहता है तुम विवादित लिखते हो तुम्हारी रचनाएँ कोई छापे न छापे मै प्रकाशित करूँगा अपनी रचनाएँ तुम मुझे भेजना" यह मेरे लिए ऐसा पहला अवसर था कि जब कोई सम्पादक मुझसे प्रकाशित करने के लिए मेरी रचनाएँ आमंत्रित कर रहा हो।
आपके साथ बिताए समय में ऐसे ही तमाम किस्से है जिन्हें भुलाया नहीं जा सकता कुछ दिनों पूर्व झाँसी आया था आपसे मिलने की। आपको मैसेज कर अवगत भी कराया था कि आपसे मिलने आ रहा लेकिन फिर कुछ कारणवश यह लापरवाह इंसान आपका आशीष लेने आप तक नहीं पहुँच पाया अपनी सफाई देते हुए अगली बार झांसी आने पर मिलकर आशीष ग्रहण करने की बात कही थी लेकिन अब झांसी तो आते जाते रहेंगे...लेकिन आप से मुलाकात का सौभाग्य नही  होगा। 
सादर श्रद्धाजंली😢😢