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अपनी मेहनत और प्रतिभा से लोगों का दिल जीत रहे नीरज

अपनी प्रतिभा और मेहनत से लोगों का दिल जीतने का काम कर रहे है उभरते हुए कलाकार नीरज जिन्होंने
फ़िल्म शिक्षा के "बेटिया तो होती अनमोल है"
फ़िल्म लैपटॉप के"बेटी नही तू शान है" जुड़वा भाई,उरई जंक्शन जैसी फिल्मो मैं गीत लेखन से लेकर गायन,कम्पोजिंग, एक्टिंग,डाइलोग, स्क्रीन प्ले फ़िल्म इंडस्ट्रीस की ऐसी कोई क्रिएटिविटी नही जो इस सितारे ने ईमानदारी से न निभायीं हो और आज ये सितारा,बुंदेलखंड के बाहर,हरयाणा,पंजाब, मध्यप्रदेश, देश के  कई राज्यो मैं  अपनी कला का लोहा मनवा चुका है इस कोहिनूर को 
नीरज कुमार आर्या के नाम से जाना जाता है। नीरज आज भी  पूरी शिद्दत से लगा है ।आप सभी यूट्यूब ऑयर उन्हें नीरज कुमार आर्या के नाम से सर्च करके उनकी क्रिएटिविटी देख सकते है और सपोर्ट भी करना आप सभी की जिम्मेदारी है क्योंकि ये सितारा लगातार 2008 से कार्यरत है अपने लक्ष्य की ओर निरन्तर अग्रसर है आइये जानते है नीरज की कहानी नीरज की ही जुबानी-


यहां से समझ लीजिये की हालातों को गुलाम बनाना मैंने  अपने माता पिता से बखूबी सीखा अगर मेरे वास्तविक गुरु हैं तो वो मेरे माता पिता हैं,वो इएलिये की मेरे पिता जी उस वक़्त की अंग्रेजी से डबल एम ए किये थे फ़ोर्स मैं जाने का सपना लेकर जी रहे थे उनका सपना सन 1985 में  पूरा भी हो रहा था फिजिकल मैं टॉप रैंक आने के बाद, रिटिन परीक्षा भी पास की इसके बाद वो  आर्मी मैं क्लर्क की पोस्ट पर जॉइन हो पाते उससे पहले ही उनके आने करीबी लोगों ने उन्हें गिरा दिया पान मैं कुछ ऐसा खिला दिया जिससे वो पागल हो गए थे रास्ते भूल जाते थे कही का कही पहुचते थे 1983 मैं शादी हो चुकी थी माता जी ने भी हार नही मानी  एक बीते कई जुबान निकाल लेते थे।  1984 मैं शादी हो चुकी थी माता जी ने भी हार नही मानी  लगातार दो साल तक उन्होंने इस प्रक्रिया को सहा इसके बाद भगवान रूपी  एक साधु महाराज ने उनको ठीक किया इसके बाद पापा जी का  जो आत्मविश्वास  था वो कमज़ोर पड़ गया आने वाले समय मैं 1986 होमगार्ड की वेकैंसी आयी छोटे चाचा जी के लिए 50000 जमा हुए वो अनफिट हो गए दुर्भाग्य से जब उन्हें बोला गया तो वो जैसे ही फिजिकल के लिए खड़े ही हुए की उन्हें साइड कर दिया क्योंकि वो पहले से योग्य थे ये कहके दिखता नही क्या वो "आल रेडडी" आर्मी का जवान है क्योंकि पापा जी की कद काठी बहुत प्रभावशाली थी आज भी है 

पापा जी ने उस वक़्त भी अपनी होमगार्ड की सेवा पूरी ईमानदारी दी जब एक महीने ड्यूटी लगती थी पांच - पांच महीने खाली बैठना पड़ता था इसी दौरान मेरे बड़े भैया वीर सिंह का जन्म हुआ 1991 में,फिर मेरा 1993 में पापा जी को अपने परिवार का खास सपोर्ट नही मिला अगर कुछ मिला तो वो धोखा और राजनीति। कई बार जीतोड़ कोशिश की विरोधियों ने पर  पर ऊपर वाले ने हमें आंच नही आने दी क्योकि हम लोग भूखे रहकर भी शान से जीने वाले थे आगे चलकर में आपका अपना छोटा भाई बुद्ध सिंह उर्फ आज के नीरज कुमार आर्या को भगवान ने कुछ प्राकृतिक उपहारों के साथ इस दुनिया मे भेजा मैं बचपन से ही अभाव को दरकिनार कर आने लक्ष्य की और अग्रसर रहा जो चीज़ पापा जी ने मेरी प्रथम  शिक्षाशाला सरस्वती ज्ञान मंदिर हाईस्कूल से मेरी शिक्षा की शुरुआत हुई जहाँ पढ़ाई के साथ साथ अनमोल संस्कार,सदाचार,अनुशाशन,से समाहित उपहार मिले जो आज शायद करोड़ो की इंस्टीट्यूट मैं भी   न दिए जाते हों ऐसे नियम की आप आंख भी न फड़का पाएं इन्द्रियों पर कैसे बस रखना है ये 1999  मैं मुझे सिखाया जा रहा था जो आज तक मुझे याद है और मैं उसका आज भी अपने आप मैं संयम से पालन करता हूँ। और उन सभी गुरुजनों का दिल से आभार प्रकट करता हूं जिन्होंने ऐसी मुझे असीम शक्ति प्रदान की !

इसके बाद गांव के ही वीरांगना अवन्ति बाई स्कूल से "तीसरी" और "चौथी" की पढ़ाई हुई एक खास बात मैं अपने स्कूल के साथ साथ अपबे दोस्तों के स्कूल में भी चला जाता था पढ़ने जैसे श्री जवाहर इंटर कॉलेज के आईचे वाले स्कूल में जिसके प्रधानाचार्य आदरणीय श्री रामनाथ कुशवाहा जी थे सदा सिंपल पहनावा और कड़क रुख उतने ही  अंदर से नरम थे क्या दिन थे वो। 

इसके बाद पापा आ गए तंगी के कारण विजय इस्पात में सिक्योरिटी मैं जॉब करने लगे राजेंद्रनगर उरई के रामजी लाल पांडे हाइस्कूल मैं मेरी पांचवी और छठवी की शिक्षा पूरी हुई फिर इसके बाद मेरे दादा जी  स्वर्गीय डॉ नाथूराम त्यागी मलेरिया विभाग से रिटायर्ड हुए जो जिंदगी की कमाई मिली उससे उन्होंने एक ट्रेक्टर और एक मकान बनवाया फिर हम लोग बाघोरा से राजेन्द्र नगर पैदल स्कूल जाने लगे पता ही नही चलता था जादू से था उन दिनों मैं इसके बाद 5वी, 6वी,  की पढ़ाई करके 7 और आठवी की पढ़ाई  मैंने बी०के० सरस्वती कान्वेंट स्कूल से 7वी और 8वी की शिक्षा पूरी की इसके वाद हम फिर इत्तेफाक से गांव चले गए इसके बाद 9वी और 10वी गांव से ही कि उस समय की 10वी मानो आईएएस की परीक्षा थी

मैन प्रथम श्रेणी 374 अंक प्राप्त किये थे इसके कई लोगो ने मुझे सम्मानित भी  किया था इसके लिए उस वक़्त के खेल किर्केट, कबड्डी,डंडा छिलोर, टीपू, गोली आसपायी, फुटबॉल, मेरे सभी मित्र  ग्राम गोहन के मुझे बहुत प्यार करते थे शायद उनके सपोर्ट से ही मैं हु आज इसके बाद फिर मेरा दाखिला 11वी में श्री जवाहर इंटर कॉलेज मैं हुआ जहा के सभी  अध्यापक बहुत ही प्ररेणादायक थे जैसे जैसे आदरणीय श्री राय जी,श्री एन डी जी, ये मुझे बहुत प्रभावित करते थे इनके नियम अनुशाशन और तरीके मुझे बहुत प्रभावित करते थे, मैं बहुत आत्मविश्वास से भरा था पढ़ाई मैं जान लगा रहा था 12वी की परीक्षा करीब थी कि अचानक से फीस न देने के कारण मेरा स्कूल से नाम काट दिया गया  मैन बहुत निवेदन किया पर कुछ न हो सका वो दिन मेरे जहन मैं छप से गया है यहां से मेरी आर्थिक समस्या का अंदाज़ा लगाया जा सकता था घर मे सच मे बहुत आर्थिक तंगी थी पापा जी जी रहे थे यही काफी था मेरे लिए क्योकि उनकेबसोने टूटने ओर उन्हें बहुत सदमा लगा था।

  बस उसी समय मैन तय किया कि अब तय किया कि अब मुझे ही कुछ करना होगा इस समय मेरा गायन मैं अभ्यास जारी था तभी मैंने आने मित्र की मदद से 2008 में ही घर त्याग दिया और मुम्बई की और चल पड़ा सा, रे,ग,म, म्यूजिकल शो मैं ऑडिशन देने के लिए आज स्वीकारता हूं कि वो मेरा अंदर का जोश था इतना निपुड़ नही था गायन मैं पर इक्षाएँ बहुत मजबूत थी कुछ करने की ललक जैसे ही नासिक पहुचे सुनने को मिला कि इस समय रेलवे मार्ग का माहौल बहुत उग्र दिख रहा था तब वहां पर शिवसेना का बहुत ज्यादा बोलबाला  था  श्री बाला साहेब ठाकरे  जी का पोस्टर पहकी बार देखा उनके बारे मे सुना उत्तर भारतीयों को मारा काटा जा रहा था नासिक तक ही सफर हुआ जब आगे दिक्कत ज़्यादा समझ आयी तो हम सब उत्तर लिए वह से वापी गुजरात के लिए निकल पड़े नासिक से वापी जिन रास्तों से गये कसम से स्वर्ग है  इतनी ऊंची ऊंची पहाड़ियां की आंख बंद करनी पड़ रही थी हमारे गांव मे आम के पेड़ मैं बौर था और वापी जाते वक्त देखा कि आम के पेड़ मैं बड़े बड़े आम लटक रहे थे जीवन के नए नए अनुभव पानी की ये एक महज शुरुआत थी! पर मैं लालाइत था और आगे का सफर जानने के लिए फिर मैंने वापी पहुचकर कैपिटल फ़ूड लिमिटिड मैं सेक्युरिटी गार्ड की ही नॉकरी से शुरुआत की तब चाइना के फ़ोन बहुत प्रभावित कर रहे थे मैने अपनी पहली पगार 3000 से चाईना का मोबाइल खरीदा इसके बाद मैं रात मैं अपने ख्यालों में डूबकर लिखने लगा उन कागजो पे जिन्हें डस्तविन मे फेक दिए जाते थे 12 घंटे रात जागकर सुबह 12 से 13 लोगो का खाना बनबाना पड़ता था वही दिन मैं अपना रियाज़ करता था तब राहत फतेह साब का जग सुना सुना लगे सुना था बहुत अच्छा लगा था कैलाश खेर जी का सैया गीत सुनके रौंगटे खड़े होने लगे इन गीतों के शव्दों ने मुझे गीत लेखन करने पर विवश कर दिया।

मैं रात भर जागता और लिखता मेरे एरिया मैनेजर मुझे चेक करने मैं उन्हें जागता मिलता इस बात से वो काफी खुश हुए उस दौरान मैं मेरा एक इतना खास मित्र था जिसकी याद आज भी मानो खून मैं समा गई हो इतना निस्वार्थ मुझे  अगर वो न समझाता तो शायद मैं कुछ गलत फैसला ले लेता हमारे पिता समान हीरालाल चाचा जो मुझे बहुत मेरे साथी गार्ड थे पर पिता की तरह उस वक़्त मुझे प्रेरित करते थे इसके बाद मैंने पूरे एक वर्ष तक वहाँ जॉब की इसके बाद फिर गुजरात जमके घूमे हर काम किया अनुभव लिया जो गुज़रता गया मुझे वो लिखता गया अगर किसी और कि घटना से प्रभावित हुआ तो और लिखने लगा इस लिखने की ताकत ने मुजगे इतना मजबूत किया कि मैं अब दिन रात सिर्फ ऑब्जरवेशन हर इंसान को समझना उसकी भाषा,संस्कार, उसका रहन सहन को ऑब्जर्व करता था इसके बाद मैं पुणे गया 4 वर्ष वहां दिए प्लास्टिक,डाइपर, पेन,कपड़ा,लोहे,,मोबाइल की कंपनियों मैं काम किया इसके बाद एक हादसा ऐसा हुआ कि मुझे उरई आना पड़ा फिर यहा से मैने कैप फाउंडेशन के द्वारा निशुल्क पढ़ाई करने का अवसर  हमारे महागुरु  आदरणीय श्री ब्रजेश चौहान जी  द्वारा प्राप्त हुआ वहां पढ़ाई के साथ टेक्निकल चीजें भी बताई जाती थी इसके साथ साथ इंग्लिश स्पोकन, बॉडी लैंग्वेज,स्किल डेवलोपमेन्ट,ऐसी अद्भुद क्लास मैंने कही नही देखी यहां पर मेरे गुरुओं ने मुझपे भरोसा करके मुझे हर दिन अपनी कला प्रस्तुत करने की सहमति दी इसके बाद जब मुझे आभास हुआ कि मैं औरो से अलग हु जो है मुझमे वो हर किसी के पास नही है फिर मैंने अपने आप को और भी कठोरता से निखारना आरम्भ किया 


मैने 12वी की परीक्षा भी पास करली प्रथम श्रेणी से इस कैप फाउंडेशन से कुछ ऐसी यादे मिली जिसने मेरी जिंदगी के अनुभव को और नुकीला कर दिया यही से मेरे कुछ मॉडर्न दोस्त बने जिन्होंने मुझे 1990 की लाइफ से बाहर निकाला और नई दुनिया की बारीकियों से रूबरू करबाया इस बीच एक शब्द ने मुझे पूरी तरह बदल दिया क्योंकि 1990 मैं हसने वाली लड़की को यही कहा जाता था कि हसी तो ऑयर करती है यही मैं 2014 मैं समझता रहा पर ये मेरी गलतफहमी थी इस मॉडर्न युग मे हँसना एक इत्तेफ़ाक़ मात्र था जिसे मैं प्यार समझ बैठा था मैं मैं अपनी पसंद को ताजमहल के सामने आगरा मैं प्रपोज़ करने वाला था टूर के दौरान पर वह उसके रिएक्शन देखकर मैं अचंभित था तो नही कर पाया शाम को उसने सभी के बीच मुझे आने हाथो से खाना खिलाया इसके बाद मुझे लगा यार इतना करती है तो कुछ तो है दोस्त बड़े कमीने थे यार नीरज ये लड़की हो न हो तुझे चाहती है मैं भी ये जानने मैं लग गया पर ये मात्र भ्रम था जो उस लड़की ने खुद दूर किया बहुत सादगी से जवाब दिया यार नीरज ऐसा बीहेवियर तो मैं सबके साथ करती हूं हस्ती हु खाती हु"आयी एम फ्रेंक" ये शव्द सुनके मेरा भूत उतर गया पर वो मेरी बहुत अच्छी मित्र रही आज भी है उसी की प्रेरणा से मुझे एक बेसकीमती  प्रेमिका भी मिली जिसके लिए मैं उस महान लड़की का आभार प्रकट करता हूं

आज जो मेरी लिखावट में गायन मैं एक्टिंग मैं तासीर है ये उसी की दी हुई है इसके बाद मैं मैने वो लिखा जिसपर मुझे खुद हैरत होती हैं कैसे लिख लिया सच तोये है ये सब ईश्वर की प्रकृति की महर है जो बनी इसके बाद आगे की पढ़ाई की अधूरी आज भी है

पर सिर्फ कागजो से किन्तु प्रेक्टिकली मैं नॉलेज से कभी डोर नही रहा मैने दिन रात उपन्यास पडें,महान कहानीकरो को पढ़ा,और एक्टिंग अपनी ब्लैक इन वाइट टीवी से जब चित्रहार,रंगोली,श्री कृष्णा, युग,कप्तान व्योम,अलिफ लैला,शक्तिमान, मुंगेरी के भाई नोरंगी लाल, जैसे महान धारावाहिक से सीखी अभिनय की  बारीकियां आज भी सीख रहा हूं हर एक छोटी से छोटी चीज से,जीव जंतुओं से, हर तरह के इंसानों से, पक्षियों से और मतलबी लालची लोगों से आज भी सीख रहा हूं जिनसे  मिले अनुभब से मुझे थोड़ी बहुत इस बुंदेलखंड मैं पहचान मिली एक्टिंग का श्रेय  खान फिल्म्स के एडिटर एवं डायरेक्टर हमारे गुरु मोहम्मद वली  खान साहब को।जाता है टेक्निकली उन्होंने ही मजबूत किया और  मुझपे यक़ीम करके अपने हर प्रोजेक्ट मैं मुझे मल्टी क्रिएटिविटी करने का मौका दिया

  जिसके वाद ही मुझे ए एम बी फ़िल्म के डायरेक्टर आदरणीय श्री अंश कश्यम जी ने फ़िल्म शिक्षा के लिए टीटीके सांग लिखने का गाने का कंपोज़ करने का अवसर दिया इसके परिणाम स्वरूप आगामी 2021 मैं आल इंडिया रिलीस होने वाली फिल्म लैपटॉप के  टाइटल गीत" पढ़े गली की रोशनी मैं" की जिम्मेदारी दी और मुझे आर्थिक प्रोत्साहन भी दिया सच कह आर्थिक कमाई शुरुआत यही से हुई  इसके बाद मैंने जो भी कर पाया हूं आप सबके सामने है इसके बाद 2017 मैं मुम्बई गया अपने पसंदीदा गर्तों को रजिस्टर करवाया राइटर एसोसिएशन का मेंबर बना इस बीच मुझे सपोर्ट करने वाले बॉलीवुड एक्टर जनाब राजा खान जी,जनाब शकील खान जी,जनाब हफ़ीज़ खान जी,श्री भूषण मिश्रा सर्, इरफान सर्, जनाब आर्यन खान,श्री लकी ठाकुर सर् श्री सुनील गुप्ता जी,
Orai में सागर गुप्ता जी,रोहित गुप्ता जी  रणवीर सिंह,सुनील सिंह,कमलेश सिंह,जॉब शफीक खान, जनाब असलम खान, श्री सुरेंद्र खरे सर्,आदि ने किया नीरज कुमार आर्या से इन नम्बर पर 739819139,7007082703 सम्पर्क किया जा सकता है।

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