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हृदय की बात....(पारसमणि अग्रवाल)



समझ से परे है कि पहली बार अपने हृदय की बात साझा करते हुए सुखद अनुभूति करें या फिर....? लेकिन आप तो अपने है 


आज के ही दिन Donate A Book मुहिम की नींव रखी थी इस मुहिम के तहत लोगों के घर में मौजूद उनके लिए उनपयोगी पुस्तकों को लेकर जरूरतमंद विद्यार्थियों तक पहुचाने की योजना थी, प्रशासनिक अधिकारियों सहित अन्य गणमान्य लोगों ने इस मुहिम की प्रशंसा कर सहभागी बनने की इक्छा जाहिर की थी, उनका आज पुनः एक बार सपोर्ट और मनोबल बढ़ाने के लिए हृदयतल की गहराइयों से कोटि-कोटि साधुवाद। निराशाजनक यह रहा कि मेरे द्वारा शरू की गई इस मुहिम ने संसाधनों के अभाव एवं अन्य अपरिहार्य कारणवश  कुछ दिनों में ही बेदम हो गई क्योंकि अकेले किताबों को एकत्रित कर जरूरतमंद विद्यार्थी तक पहुचाने में किताबों के मूल्य से ज्यादा उसका व्यय आ जाता था इत्यादि कारणों की मार झेलते हुये इस मुहिम को स्थागित करना पड़ा था। Donate A Book का पहला प्रयास जरूर असफल रहा हो...लेकिन हिम्मत और लक्ष्य अभी छोड़ा नहीं है... उम्मीद ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि नई नीति नई रीति के साथ एक बार पुनः इस उद्देश्य के साथ मैदान में उतरेंगे।
चूंकि सृष्टि का नियम है परिवर्तन। तो समय के साथ परिवर्तन करते हुए सुखद बात यह है कि #donate_a_book मुहिम के प्रथम जन्मदिन पर नवोदित रचनाकारों की कागज के जहन को कलम की नोंक से कुदेर कर सम्वेदनाओं का रचनाओं के रूप में सृजन डायरी के पन्नों के बीच दफन न रहे, बल्कि वह उस मुकाम तक पहुँचे जिनकी वह असली हकदार है। वह डायरी के पन्नों के बाहर निकल उस मकसद को पूरा करे जिसके साथ वह रची गई ऐसी ही कई उम्मीदों के साथ #donate_a_book की जगह #publish_a_book मुहिम को शुरू करने का फैसला लिया है। विश्वास है कि यह मुहिम न सिर्फ नवोदित रचनाकारों की रचनाओं को एक ई किताब का रूप प्रदान करेगी बल्कि उन्हें वरिष्ठ साहित्यकारों से जोड़ एक सेतु का भी काम करेगी।
इसी श्रृंखला में पब्लिश_ए_बुक मुहिम के तहत बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय की छात्रा नवोदित रचनाकार समीक्षा की डिजिटल कृति " My words your filling को ई बुक के रूप में प्रकाशित किया जा रहा है। आशा है कि आप सब का स्नेह इन्हें भी नई ऊर्जा का संचार करेगा।
आप सभी फेसबुक मित्रों का भी निरन्तर अपने स्नेह से अभिसिंचित करने के लिए आत्मीय धन्यवाद । धन्यवाद उन सभी साथियों का भी जिनके द्वारा फेंके जा रहे आलोचनाओं के पत्थर मेरे सफलता के सेतु निर्माण में संजीवनी साबित हो रहे। धन्यवाद आप सभी का। सादर....

आपका
Parasmani Agrawal Konch

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