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कोंच इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल के अहम स्तम्भ है फ़िल्म *अभिनेता आरिफ शहडोली*


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कोंच इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल की फेस्टिवल स्तम्भ की श्रृंखला में ऐसे लोगों का जिक्र किया जा रहा जिनके ज्ञात योगदान व साथ से फेस्टिवल को साकार रूप मिला। श्रृंखला के चतुर्थ अध्याय में हम बात करते हैं टीवी एवं फ़िल्म अभिनेता आरिफ शहडोली जी की-
कोंच इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल अपने तीन साल पूरे कर चौथी साल के तरफ पर अग्रसर हो चला और इस आयोजन का सूत्रधार में बना यह सम्भव हुआ फ़िल्म एवं टीवी अभिनेता आरिफ शहडोली जी से मिली प्रेरणा, मार्गदर्शन और साथ से।
दरसअल में फ़िल्म फेस्टिवल होता क्या है? मैं इससे अंजान था। हाँ इत्ता जरूर पता था कि फ़िल्म फेस्टिवल भी कुछ होता है। बड़े भाई आरिफ शहडोली जी के सरंक्षण एवं मार्गदर्शन में मुझे न सिर्फ इस सवाल का जवाब मिला कि फ़िल्म फेस्टिवल होता क्या है, बल्कि उनके साथ से कई फ़िल्म फेस्टिवल में जाने और जुड़ने का अवसर मिला जिससे मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला। मुझे बहुत सारे अभिनेताओं, निर्देशक, पत्रकार आदि से आरिफ भाई के माध्यम से बहुत ही नजदीकी से मिलने को मिला।
बात यंहा कोंच फ़िल्म फेस्टिवल के संदर्भ में जरूर हो रही लेकिन मैं यंहा एक संस्मरण जरूर साझा करना चाहूंगा बात उस समय की है जब स्नातक पास करने के बाद माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय से सम्बद्ध  फ़िल्म इंस्टीट्यूट ऑफ एमिट्स लखनऊ में पत्रकारिता से परास्नातक में प्रवेश लिया था पढ़ाई शुरू हुए हॉस्टल लाइफ में लगभग एक या दो सप्ताह ही हुए थे। आरिफ भाई उसी समय लखनऊ आये तो उन्होंने मेरे लिए भी अपने बहुमुल्य समय मे से समय निकालते हुए वह स्वयं मुझसे मिलने  कथाकार आदरणीय मामा श्री महेंद्र भीष्म जी, पत्रकार बड़े भाई श्री लक्ष्मीकांत जी, फ़िल्म एवं टीवी अभिनेता बड़े भाई श्री अमरनाथ कुशवाहा जी आदि के साथ आए। नए शहर के नए कॉलेज के नए माहौल के बीच इतनी शख्सियतो को अपने लिए पाकर मन प्रफुल्लित था आप सबने स्टूडियो में हमारे सहपाठियों, जूनियरों एवं सीनियरों से संवाद किया। साथ ही  मेरी तीन सीनियरों की ई बुक का विमोचन आप सब के द्वारा हुआ। आप सब का एक साथ मुझसे मिलने कॉलेज आना और बेशुमार स्नेह और वक्त प्रदान करना इन सबने मेरी कॉलेज के अंदर एक अच्छी फिजा बना दी । फ्रेंडली टीचर्स के साथ साथ जूनियर्स सीनियर्स, क्लासमेट एवं हॉस्टलर्स का सपोर्ट और ज्यादा बढ़ गया था जिसने पारस को पारस बनाने की कोशिश में बहुत सहायता की।
आरिफ भाई द्वारा हमेशा से मोटिवेशन मिलता रहा मेरा फ़िल्म फेस्टिवलों से जुड़ने से लेकर फ़िल्म फेस्टिवल आयोजित कराने में उनका भरपूर साथ और स्नेह मिला। उनके द्वारा पत्रकारों को दिए गए कुछ इंटरव्यू में भी उन्होंने मेरा जिक्र किया। कहने को बहुत सारी बातें हैं तमाम संस्मरण है जिनका जिक्र किया जाए तो सम्भवतः एक किताब सृजित हो जाएगी। जब भी मनोबल हिचकोले खाते हुए दिखाई देता तो उनके द्वारा कही हुई यह बात मनोबल दे जाती है कि सफलता के तीन चरण होते हैं पहले चरण में लोग हंसेंगे दूसरे चरण मे लोग विरोध करेंगे,और तीसरे चरण में वह साथ आ खड़े होंगे इसलिए निरन्तर डटे रहो। 
आपका साथ, सहयोग, स्नेह और आशीष यूं ही मिलता रहेगा इसी विश्वास के साथ कोंच इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल के तरफ से आपको कोटि-कोटि साधुवाद।

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