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कोंच फ़िल्म फेस्टिवल के प्रति शोधार्थी अनुपमा का है अनुपम लगाव

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कोंच इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल की फेस्टिवल स्तम्भ की श्रृंखला में ऐसे लोगों का जिक्र किया जा रहा जिनके ज्ञात योगदान व साथ से फेस्टिवल को साकार रूप मिला। श्रृंखला के तीसरे अध्याय में हम बात करते हैं कानपुर निवासी अनुपमा पांडेय की-
वरिष्ठ साहित्यकार मामाश्री महेंद्र भीष्म जी के कोविड समय में आयोजित अथ कथा किन्नर संवाद कार्यक्रम में अनुपमा से साहित्यकार एवं अभिनेत्री गीतिका वेदिका जी के माध्यम से मेरी ऑनलाइन मुलाकात हुई थी उस वर्ष हम दोनों अथ कथा किन्नर संवाद आयोजन समिति के सदस्य थे। अनुपमा टेक्निकल नॉलेज रखने के साथ साथ प्रोग्राम मैनजमेंट आदि में भी अपनी प्रतिभा रखती है।
 कोंच इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल के आयोजन में आपका टेक्निकल सहयोग के साथ साथ आपने फेस्टिवल में युवाओं को जोड़ने का भी प्रयास किया आपके माध्यम से कानपुर की कई प्रतिभाएं फेस्टिवल के साथ जुड़ी। आपसे ऑनलाइन मिले हुए कुछ वक्त ही हुआ था कि पता चला कि बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में हिंदी से पीएचडी करने झांसी आ रही है, इधर मैं भी  बुंदेलखंड विश्वविद्यालय मे ही लॉ में प्रवेश ले चुका था। एक विश्वविद्यालय एक शहर में होने के कारण साथ साथ कुछ नया करने की रणनीति प्लान होने लगी और प्लान इस बात पर जाकर खत्म हुआ कि फेस्टिवल को ऑफलाइन कराया जाए...पर्दे के पीछे से तृतीय कोंच इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल में कागजी लिखा पढ़ी में आपका बेहतर साथ मिला हर योजना को कागज पर उतार कर उसका पूरा खाका खींचने का कार्य आपने निभाया। आपको बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. पुनीत बिसारिया जैसे विद्वान अध्यापकों का सानिध्य प्राप्त है। विश्वास है कि अनुपमा का यह अनुपम प्रेम फेस्टिवल के लिए यूं ही बरकरार रहेगा।

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