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एनडीए का चौंकाने वाला फैसला: कौन हैं सीपी राधाकृष्णन? जिन्हें एनडीए ने बनाया उपराष्ट्रपति उम्मीदवार




जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद खाली हुए उपराष्ट्रपति पद के लिए एनडीए ने एक ऐसा नाम चुना है, जिसने सभी को चौंका दिया है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा की कि महाराष्ट्र के वर्तमान राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार होंगे। यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा की मौजूदगी में हुई भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में लिया गया। राधाकृष्णन का चयन कई राजनीतिक और रणनीतिक समीकरणों को साधने का प्रयास माना जा रहा है।

40 साल का राजनीतिक अनुभव: संघ से संसद तक

चंद्रपुरम पोन्नुस्वामी राधाकृष्णन, जिन्हें सीपी राधाकृष्णन के नाम से जाना जाता है, का जन्म 20 अक्टूबर 1957 को तमिलनाडु के तिरुप्पुर में हुआ था। उनकी राजनीतिक यात्रा बेहद लंबी और प्रभावशाली रही है। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के एक स्वयंसेवक के रूप में की और 1974 में भारतीय जनसंघ की राज्य कार्यकारी समिति के सदस्य बने। यह दिखाता है कि उनकी जड़ें कितनी गहरी हैं और वे पार्टी की विचारधारा से किस हद तक जुड़े हुए हैं।

राधाकृष्णन दो बार कोयंबटूर से लोकसभा सांसद भी रह चुके हैं, पहली बार 1998 में और फिर 1999 में। इन दोनों चुनावों में उन्होंने अपनी राजनीतिक ताकत का परिचय दिया। एक सांसद के रूप में उन्होंने कपड़ा उद्योग पर स्थायी समिति के अध्यक्ष के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और कई संसदीय समितियों में सक्रिय सदस्य रहे।

राज्यपाल के रूप में सफल कार्यकाल

राधाकृष्णन ने झारखंड के राज्यपाल के रूप में लगभग डेढ़ साल तक कार्य किया, जहां उन्होंने अपनी प्रशासनिक क्षमता का परिचय दिया। इसके बाद, उन्हें तेलंगाना और पुडुचेरी के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा गया। 31 जुलाई, 2024 को उन्होंने महाराष्ट्र के 24वें राज्यपाल के रूप में शपथ ली। राज्यपाल के रूप में उनके अनुभव को देखते हुए, भाजपा नेतृत्व को भरोसा है कि वे राज्यसभा के सभापति के रूप में भी बेहतरीन काम कर पाएंगे।

दक्षिण भारत पर निशाना: एक तीर से कई निशाने

भाजपा ने राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाकर एक साथ कई रणनीतिक लक्ष्य साधे हैं।

दक्षिण भारत को संदेश: राधाकृष्णन तमिलनाडु से आते हैं, जो भाजपा के लिए एक मुश्किल राज्य माना जाता है। उन्हें उम्मीदवार बनाकर भाजपा ने यह संदेश दिया है कि वह दक्षिण भारत को भी शीर्ष पदों पर प्रतिनिधित्व दे रही है।

अनुभवी और स्वच्छ छवि: राधाकृष्णन की छवि एक अनुभवी और स्वच्छ नेता की है, जिस पर विपक्ष भी शायद ही सवाल उठा पाए। उनके आरएसएस से गहरे जुड़ाव को देखते हुए, वे पार्टी के कोर वोट बैंक को भी मजबूत करते हैं।

निर्विरोध जीत की उम्मीद: एनडीए के संख्या बल को देखते हुए उनकी जीत लगभग तय है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी कहा है कि वे विपक्ष से संपर्क कर चुनाव को निर्विरोध कराने का प्रयास करेंगे।

राधाकृष्णन का चयन एक ऐसे समय में हुआ है जब भाजपा दक्षिण भारत में अपनी पैठ बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। उनका नाम इस रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो भविष्य की राजनीति की दिशा तय कर सकता है।

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