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वक्त की बढ़ती गति के साथ हमारे देश में जल संकट की समस्या एक अहम समस्या बनकर सामने आ रही है । देश के कई हिस्सों में पानी की किल्लत से लोगों का जीना दूभर है। पर्यावरण की अस्थिरता के कारण कंही सूखा पड़ा हुआ है तो कंही बाढ़ अपना राज किये हुये है जिसका मुख्य कारण हम सब की अजागरूकता एवं लापरवाही है। अपनी इस लापरवाही का ठीकरा सरकार पर फोड़ने के बजाय हम सब को खुद की कार्यशैली में सुधार लाने की आवश्यकता है। इस भीषण संकट के विरुद्ध सरकार के साथ कंधा से कंधा , कदम से कदम  मिलाकर आगे आएं और आने वाले सुनहरे कल को संकटकालीन कल बनने से बचाएं कहा भी गया है कि "हम सुधरेंगे, जग सुधरेगा।" इसलिये आने वाली पीढ़ी के भविष्य की चिंता करते हुये हम सभी अपनी दिनचर्या में थोड़ा सा परिवर्तन कर जल संकट के विरुद्ध भूमिका अदा कर सकते है। पानी के बचाव के लिये हम सभी योजनाबद्ध तरीके से कार्य कर सकते है जैसे घरों में नलों से पानी बिना किसी आवश्यकता के बहता रहता है, बूंद-बूंद पानी टपककर बहने से एक बड़ी मात्रा में पानी बर्बादी का शिकार हो जाता है। हमें चाहिये कि हम उस नल की टोटी को सही कराकर बूंद-बूंद पानी टपकने से बचाएं क्योंकि हमारे विद्वानों ने भी कहा है कि " बूंद-बूंद जल से ही घड़ा भरता है।" इसी प्रकार घर में भोजन पकने से पहले धुलने वाली सब्जी के पानी को नाली में न बहाकर पेड़-पौधों को सिंचित करने में उपयोग कर सकते है। इसी प्रकार हम देख सकते है कि सुबह-सुबह घर का मुख्य द्वार व अन्य जगह धोने के वजह आवश्यकतानुसार समय पर ही इसका प्रयोग कर जल की बर्बादी को रोका जा सकता है। वही हम जल संकट से निजात पाने के लिये अपने आस-पास पड़ी नजूल भूमि पर पेड़-पौधे लगाकर पर्यावरण को संतुलित करने का प्रयास कर सकते है और बिगड़े हुये मौसम संतुलन को सुधार सकते है। वर्षा का पानी अनावश्यक नाली में बहकर बेकार चला जाता है। घर का पानी घर में रहे, गांव का पानी गांव में, शहर का पानी शहर में रहे इस भावना के साथ हम वर्षा के पानी को बहुत ही आसान तरीके से बचाया जा सकता है इसके लिये आस-पास खाली पड़ी भूमि में गड्डा खोद कर वर्षा के जल को सुरक्षित किया जा सकता है और आवश्यकता पड़ने पर उपयोग में भी लाया जा सकता है। छोटे-छोटे उपाय बेहद ही कारगर साबित हो सकते है जो हमारी दिनचर्या पर भी ज्यादा प्रभाव नही डालते । उत्तराखण्ड जल संस्थान के मुताबिक टॉयलेट में लगी फ्लश की टँकी में प्लास्टिक की बोतल में रेत भरकर रख देने से हर बार लगभग एक लीटर जल को बचाया जा सकता है। इसके अलावा घर की छत पर वर्षा जल का भण्डार करने के लिये एक या दो टँकी बनाई जाए और इन्हें मजबूत जाली या फिल्टर कपड़े से ढक दिया जाये तो हर बार वर्षा के मौसम में भारी मात्रा में वर्षा के जल का सरंक्षण किया जा सकता है। वही हम सभी टब में स्नान करने के वजाय बाल्टी में जल लेकर स्नान करें तो बड़ी तुलना में जल को बचाया जा सकता है। पुरुष वर्ग दाढ़ी बनाते यदि नल की टोंटी बन्द रखें तो बहुत जल को बचाया जा सकता। ऐसे ही छोटे-छोटे लेकिन अहम उपायों को अपनाकर हम सभी जल संकट से निजात पा सकते है और आने वाले समय में इससे छुटकारा पाया जा सकता है। "जल ही जीवन है।" जल के बिना जीवन अधूरा है। इसलिये हम सभी बिना किसी लापरवाही के अपनी कार्यशैली में सुधार कर राष्ट्र के लिये अपना योगदान प्रदान कर सकते है।

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