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हौच पौच और अवस्थाओं के बीच सम्पन्न हुआ अग्रवाल समाज का होली मिलन समारोह

 

कार्यक्रम की व्यवस्था बनाये रखने का अनुरोध करता कवि 


कवियों को बार बार करना पड़ा व्यवस्था बनाये रखने का निवेदन 

पूरा कवि सम्मेलन उड़ गया चर्चाओं के बीच, कवि बिचारे नंबर देखें अपनी आँखें मीच

कोंच - जालौन। रंगों के पावन अवसर होली पर हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी आयोजित होली मिलन समारोह के उपलक्ष्य मे आयोजित कवि सम्मेलन अव्यवस्था एवं हौच पौच का शिकार हो गया। इस दौरान मंचासीन कवियों को बार बार इस बात का आग्रह करते देखा गया कि उपस्थित लोग शांति व्यवस्था बनाये रखे कार्यक्रम की गरिमा बनाये रखें लेकिन कवियों का अनुरोध तू डाल डाल मैं पात पात की कहावत जैसा निकला। कार्यक्रम की बची कुची मर्यादा तो उस वक़्त बेदम हो गई जब समारोह स्थल के गेट के बाहर से निकल रही एक दूसरे आयोजन की बारात मे कार्यक्रम के आयोजक समाज के जिम्मेदार पदाधिकारी भी अपने कार्यक्रम को छोड़ बाहर की ओर दौड़ते नजर आए। मंचासीन कवि भी इस बात की कानाफूसी करते हुए यह कहते नजर आए कि उपस्थित स्वजातीय श्रोताओं का उन्हें काव्यमय माहौल बनाने मे सहयोग नहीं प्रदान कर रहे है। खास बात तो यह है इस कार्यक्रम मे यह कहावत भी समाज के जिम्मेदार इस बात को सत्य करार प्रदान करते हुए नजर आए कि घर की मुर्गी दाल बराबर सम्भवतः इसी सोच के साथ समाज की ऐसी युवा प्रतिभाओं को मंच से दूर रखा गया जिन्हे अन्य समाज का प्रबुद्ध वर्ग भी प्रोत्साहित करता है।

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