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क्या आपके पास भी गर्ल फ्रेण्ड है ?


गर्लफ्रेण्ड.... यह शब्द नहीं एक जादू सा लगने लगा है जिसके लिये अधिकांश युवा वर्ग पागलपन के साये में जी रहे है प्यार का इजहार करने के लिये हाथ काटने से लेकर वह सभी कार्य एक आम सी बात हो गई है जो कहीं न कहीं शरीर को क्षति पहुॅचाने का कार्य करती है। जितनी जल्दी प्यार हो जाता उतनी ही जल्दी ब्रेकअप भी हो जाता खास बात तो यह है कि ब्रेकअप हो जाने के बाद टुकड़ों-टुकड़ों में बिखरा नाजुक सा दिल अब खुद को जोड़ने में भी समय नहीं लगाता और खुद के टूटे हुये टुकड़ों को जोड़कर फिर पा लेता है एक नई गर्लफ्रेण्ड। अब तो सोशल मीडिया भी इसमें अहम भूमिका निर्वाहन करने लगा उसके द्वारा भी चाहे जितने दिल दे दो फिर भी खत्म होने का नाम ही नहीं लेंगे व्हाटशेप पर तो आपके दिल धड़कते हुये भी नजर आयेंगें। आज की युवा पीढ़ी इसे प्यार बताती है हास्यपद लगता है इनके इस प्यार के बारे में सुनकर क्योंकि शायद इनको अभी प्यार का सही अर्थ तक नहीं पता तो प्यार करने की बात करना तो दिन में सपने देखने जैसा है। प्यार विश्वास है, धड़कन है, तड़प है, अटूट बन्धन है प्यार दो दिलों का मिलन है, प्यार पागलपन है लेकिन आप के प्रेमियों की बात करें तो प्यार सिर्फ एक टाइमपास है, गोले गाल, रसीले होंठ, नशीली ऑखें, मनमोहक बदन प्यार है, प्यार रूह नही, जिस्म है। प्यार दिल से नहीं दिमाग से है।
डिजिटल होता 21वीं सदी का भारत पश्चात् संस्कृति के इस गर्लफ्रेण्ड नामक उत्पाद की भारी-भरकम मॉग अधिकांशतः किशोरावस्था की दहलीज लांघ जवानी की नाजुक सी दहलीज पर दस्तक देने वाले हाथों तक पहुॅच चुके स्मार्ट फोन बढ़ाने में लगे हुये है। डिजटलीकरण की इस दुनिया में मेल-मिलाप की प्रक्रिया बहुत ही आसान हो गई अब कबूतरों के गले में अपना खत पहनाकर चिट्ठी जा नहीं करना पड़ता है और न ही घर की चौखट पर निगाहें बिछाकर डाकिये का इंतजार। स्मार्टफोन के सृजित होने के बाद से महज कुछ ही क्षणों में अपने ओ जी, ये जी से सुनो जी कह सकते है। तभी तो किसी लड़के को कोई लड़की पसन्द आ जाती है और किसी लड़की का दिल किसी लड़के पर फिसल जाता है तो बस शुरूआत हो जाती ह्रै उसका नम्बर प्राप्त करने की कोशिशें। अभी इन मामलों में अनजान हॅू आस-पड़ोस के महौल से प्राप्त अपने अनुभवों को अल्फाजों की माला में ओत-प्रोत कर आपके श्रीचरणों में निवेदित करता हॅू इसलिये विस्तृत वर्णन न करते हुये यही कहना चाहॅूगा कि जितनी तेजी से देश डिजिटल होता जा रहा है उतनी ही तेजी से प्रेम एक मजाक। क्योंकि अब किसी के पास गर्लफ्रेण्ड या बायफ्रेण्ड होना जितना महत्वपूर्ण नही है उससे अधिक महत्वपूर्ण यह सवाल है जो अक्सर सुनने को मिलता है कि भाई कितनी गर्लफ्रेण्ड बनाये हो? मुझसे क्या शर्माना अरे अब बता भी दो कि कितने दिल इस अनार पर बीमार है? वर्तमान परिवेश में युवावर्ग पश्चात् संस्कृति के इस रोग से बुरी तरह पीड़ित है अब गर्ल/बॉय फ्रेण्ड की संख्या मायनें रखती है न कि सच्चा प्यार । चुप्पी तोड़िये आप आजाद भारत के आजाद नागरिक है और दे दीजिये जबाव इस सवाल का कि ‘‘क्या आपके पास भी गर्लफ्रेण्ड है?’’