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कमरा.....कैमरा....और... क्रियेटिवटी........


गुलामी की जंजीरों से आजाद हुए एक अर्से के बाद आज हम उस मुकाम पर पहुंच चुके है कि यदि तीन ‘क’ आपकी पहचान को एक नई उड़ान दे सकते है। आपके जज्बे को सलाम कर सकते है और बना सकते है दुनिया के लिए आपको खास। बात थोड़ी अटपती जरूर लग रही हो पर सोलह आने सच है। तीन ‘क’ यानि कमरा, कैमरा और क्रियेटिवटी आपके लिए ठीक उसी प्रकार साबित हो सकते है जिस प्रकार सब्जी के लिए नमक।

तकनीकि ने खुद को पल्लवित करते हुए सोशल मीडिया जैसा हमें एक आसान और महत्वपूर्ण प्लेटफॉर्म देने का काम किया है। अपनी क्रियेटिवटी के माध्यम से न सिर्फ आप खुद की अलग पहचान बना सकते है बल्कि दुनिया के सामने अपने हुनर का जलवा भी दिखा सकते है। आपको अपने हुनर को दुनिया को दिखाने के लिए संसाधनों व मुकम्मल मंच के अभाव में समस्याओं की मेढ़ पर बेदम नहीं पड़ा रहना पड़ेगा। न ही किसी दूसरे की वैशाखियों का सहारा लेने की जरूरत पड़ेगी बल्कि आप स्वंय ही अपनी प्रतिभा को उस मुकम्मल मंच तक पहुंचा सकते है जिसकी वह भागीदार है। खास बात तो यह है कि तीन ‘क’ की यह जोड़ी आपका सामाजिक दायरा बढ़ाने के साथ- साथ आर्थिक उन्नति के शिखर पर भी ले जा सकता है।


ये बातें जरूर अटपती सी लग रही होगी मानो एक ऐसा सपना लग रहा है जो सिर्फ सपना ही रहकर साकार रूप नहीं ले सकता लेकिन मौजूदा वातावरण में ऐसा बिल्कुल भी नहीं है तकनीकि के पथ पर हम इतने अग्रसर हो गए है कि कमरा, कैमरा और क्रियेटिवटी न सिर्फ हमारे सपनों को सत्य रूप दे सकता बल्कि इनकम का एक जरिया भी बन सकता है।

इन सपनों को साकार करने के लिए आधुनिक हालातों में यूट्यूब और ब्लॉग लेखन बेहतर विकल्प है। यदि आप अपनी जहन की संवेदनाओं को कागज के कोमल जिगर पर उकरने में सक्षम है और आप यह चाहत रखते है कि आपकी संवेदनाओं को, आपके द्वारा किए गए सृजन को लोग पढ़े, उसे एक कामयाब आयाम मिले तो इसके लिए आपके पास ब्लॉग लेखन बेहतर बिकल्प है। एडसन जैसे कई ऑप्शन यहां मौजूद है जो आपको आपके ब्लॉग को विज्ञापन देने में सहायता करेंगे। और आपको आर्थिक लाभ दिलाएगें।


 यदि आप  वीडियो ग्राफी, तस्वीरें कैप्चर करने के शौकीन हो तो कमरा कैमरा और क्रियेटिवटी वाला यह फार्मूला आपके लिए एकदम फिट है। इसके लिए जरूरी यह भी नहीं कि आपके पास स्पेशल कैमरा ही हो, आजकल मोबाइल फोन में बेहतर कैमरे आने लगे है आप उनका भरपूर उपयोग कीजिए। मोबाइल कैमरा की ही देन है कि फिल्म जगत में मोबाइल फिल्मों का प्रचलन बढ़ा है। यह फिल्में पूर्णतः मोबाइल से ही बनी होती है अर्थात् मोबाइल से ही सूट, मोबाइल से ही एडिटिंग इत्यादि सबकुछ। आप ही ऐसा ही कुछ कर सकते है तो देर किस बात की, शुरूआत कर दीजिए आज ही खुद को खुद से निखारने के लिए क्योंकि वक्त के साथ-साथ अनुभव भी साथ चलता है।