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जन्मदिन पर याद किये गए समाजसेवी राजीव अग्रवाल



*कवियों ने बांची कविताएं, लोगों ने सुनाए संस्मरण*
कोंच (जालौन) स्थानीय आर.आर. अकादमी जयप्रकाश नगर के सभागार में स्व. श्री राजीव नारायण दास अग्रवाल स्मृति सेवा समिति द्वारा कोंच इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल के प्रेरणास्रोत कीर्तिशेष राजीव अग्रवाल नदीगांव वाले के जन्मदिन की पूर्व संध्या पर कवि सम्मेलन एवं श्रद्धांजलि सभा का आयोजन सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, विशिष्ठ अतिथि एवं कार्यक्रम अध्यक्ष लोगो के बीच रोचकता एवं चर्चा का विषय रहे ।मुख्य अतिथि के तौर पर आम जन मानस का प्रतिनिधित्व करते हुये द्वय सूरज सिंह परिहार एवं राकेश अग्रवाल रहे विशिष्ठ अतिथि के रूप में साहित्य के नवनक्षत्र नवोदित रचनाकार नेहा कुमारी कनासी एवं आकांक्षा पांचाल रही वही अध्यक्षता युवा कलमकार अर्पिता पटेल दिरावटी ने की।
कवि सम्मेलन की शुरुआत माँ सरस्वती जी के पूजन एवं कीर्तिशेष राजीव अग्रवाल के चित्र पर पुष्पार्चन कर हुई। सरस्वती वंदना "जय जय हे भगवती सुर भारती तव चरणों प्रणामः।।" भगवताचार्य सागर बोहरे ने प्रस्तुत की। कवि संजय सिंघाल ने पढ़ा कि "नदीगांव से कोंच नगर में आये थे राजीव जी। आम आदमी की सेवा में छाए थे राजीव जी। शब्दों को आकार सुनहरा देकर के रंग भरते थे, साहित्यिक सेवा में पारस पाए थे राजीव जी।
कवि राजेंद्र रसिक ने अपनी कविता पढ़ते हुए बाँचा कि "यादें जिनकी शेष रही, वो अल्पायु में चले गए। छोटे-छोटे बच्चों को वो, जिम्मेवारी सौंप गए। हम सबका सहयोग मिलें, पारस को भी भरपूर सुनो, देह त्याग कर अग्रवाल जी, लोक छोड़ परलोक चले गए। 
मित्र के नाम से प्रसिद्ध नरेंद्र मोहन स्वर्णकार मित्र ने पढ़ा कि "फूलों जैसी सजाई गई जिंदगी, होली जैसी जलाई गई जिंदगी। आज इस हाथ में कल उस हाथ मे , मेहंदी जैसी रचाई गई जिंदगी। मौत निश्चित है फिर भी डरे जो नहीं, उनके खातिर बनाई गई जिंदगी। कवि भास्कर सिंह माणिक ने पढ़ा कि संघर्ष ही तो जिंदगी है, संघर्ष ही तो वन्दगी है, जो पी गया हंसकर के गम, महकी उसी की जिंदगी है। हास्य कवि ओमकार नाथ पाठक ओम ने पढ़ा कि कुछ बोलूं तो इतराते बहुत हो, जानेमन तुम मुस्कुराते बहुत हो। मन करता है तुम्हें दावत पर बुलाऊँ लेकिन भाई साहब तुम खाते बहुत हो।
कवि एवं विचारक राजेश चंद्र गोस्वामी ने पढ़ा कि सूखा सागर सूखी गागर। सूखा नदियों का नीर। अब तो मृगजल ही मिटाता प्यासे की पीर। 
मानव के नाम से प्रसिद्ध कवि दिनेश मानव ने पढ़ा कि नजरों ने इक नया नजारा देखा है, साहिल ने फिर मझधारों में फेंका है, आज समय की सीता से कैसे कह दूं , दरवाजे के आगे लक्ष्मण रेखा है। नवोदित कवियत्री आकांक्षा पांचाल ने पढ़ा कि मंजिल वही बस रास्ता चुनना है, मेहनत करो दिन रात आजकल बस यही सुनना है, तो कहते हम अब नया फैसला नई जंग होगी, अब रास्तों की पहचान हौसलों संग होगी। कनासी से आई नवोदित कवियत्री नेहा कुमारी ने पढ़ा कि हर खुशी को खुशी मत समझो। हर गम को गम मत समझो। इस दुनिया मे जीना है तो खुद को किसी से कम मत समझो। अध्यक्षता कर रही युवा लेखिका अर्पिता पटेल ने पढ़ा कि जो कहते है क्या करोगी पढ़ लिखकर, उन्हें ही कलेक्टर बनकर दिखाना है। कवि सम्मेलन में हास्यकवि अरुण बाजपेयी लीश, साहित्यकार डॉ. हरिमोहन गुप्ता, राहुल कश्यप, प्रिंसी अग्रवाल ने भी अपनी रचनाएं पढ़ी। 
कीर्तिशेष राजीव अग्रवाल को श्रद्धांजलि देते हुए शिक्षा से जुड़े अजय भारती ने कहा कि असमय भाई राजीव का चला जाना वेदना पूर्ण है वह बिना किसी शोर शराबे के हमेशा सामाजिक कार्यो में लीन रहे है। 
आम आदमी का मंच पर प्रतिनिधित्व कर रहे सूरज सिंह परिहार ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कई संस्मरण साझा किए और कहा कि वह मुझसे आयु में छोटे थे पर उनके काम बड़े थे उन्होंने कई कन्याओं के हाथ पीले कराने में भी अपनी महत्ती भूमिका निभाई है वह हमेशा मजलूमों के हिमायती रहे है। सभी अतिथियों एवं कवियों को स्मृतिचिन्ह एवं सम्मान पत्र देकर सम्मानित भी किया गया। वही सिनेमा के क्षेत्र में कोंच का नाम रोशन करने पर राहुल कश्यप एवं अंजली निशि तिवारी को भी कोंच गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर राकेश अग्रवाल फुलेला वाले, कुलदीप जादौन, महेंद्र चन्देरिया, अंकित चन्देरिया, पंकज तिवारी, राहुल तलवाड़, मुकेश कुशवाहा, अर्पित बाजपेयी, जान्हवी अग्रवाल, निशचल मयंक आदि उपस्थित रहे। अंत मे सभी का आभार व्यक्त कीर्तिशेष राजीव अग्रवाल के पुत्र पारसमणि अग्रवाल ने किया।

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