हम तुम्हे भीड़ में अपना बताते रहे।
और तुम पीठ पीछे छुरा चलाते रहे।
कुछ तो मजबूरिया होगी तुम्हारी भी
जो बिना गम दिये हमें सताते रहे।
हम तुम्हे भीड़ में अपना बताते रहे।
और तुम पीठ पीछे छुरा चलाते रहे।
कुछ तो मजबूरिया होगी तुम्हारी भी
जो बिना गम दिये हमें सताते रहे।
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