एक महाश्य बोले-
"नजरों में रहूँ लोगों की,
ऐसा कोई फ़ण्डा बताइये।
इस नए जमाने में प्रचार का नया हटकण्डा बताइये।"
सुनकर बात मैने दिमाग घुमाया।
जल्द ही उन्हें एक उपाय सुझाया।
मैने कहा
"जनाब आप कवि बन जाइये।
और जमकर टी.आर.पी. बढ़ाइये।"
तपाक से वह बोले-
"मै कैसे कवि बन जाऊँगा।
मै तो कुछ भी नहीँ लिख पाऊंगा।।"
देख हैरानी मैने विश्वास दिलाया।
इस समस्या का भी उपाय बताया।
मैने कहा-
"आप आधुनिक तरकीब अपनाइये।
और सफलता के शिखर पर पहुँच जाइये।
किसी से दो रचनाएँ लिखाइये।
सुना उन्हें लोगों को कवि बन जाइये।।"
-पारसमणि अग्रवाल
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