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सीरियल वाली सूरज और संध्या नहीं, ये है नवाबों के शहर की असली दीया और बाती

आई0 आई0 एस0 ई0 में दे रहे अपने सपनों को साकार रूप


दीया और बाती का नाम सुनते ही सूरज और संध्या का ख्याल दिलो दिमाग में आ जाता है और मुहॅ से यह निकल ही जाता है कि काश! ऐसी जोड़ी सबकी होती, तो महिला सशक्तिकरण जैसे नारों के साथ नारी को अबला न बताया गया होता। बिना भेद-भाव के जीने का सपना साकार रूप लेता दिखता। जागरूकता के नाम पर हमारा समाज कई कदम आगे जरूर बढ़ गया लेकिन मौजूदा समाज में ऐसे उदाहरण बड़े ही आसानी से देखने को मिल जायेगा कि शादी के बाद लड़की को अपने सपनों को ससुराल की चारदीवारी में भी कैद कर दूसरों के खुशी में ही खुश होकर जीना पड़ता है। लेकिन अगर बात करें तो दिया और बाती सीरियल की तो सीरियल में मौजूद सूरज और संध्या का किरदार पति पत्नी के रिश्ते को बखूबी प्रदर्शित करते नजर आये। सूरज एक हलवाई है उसकी मिठाई की दुकान होती है उसकी शादी संध्या नाम की एक लड़की से कर दी जाती है जो आई0 पी0 एस0 बनने का सपना रखती थी। सूरज की संध्या से शादी हो जाने के बाद सूरज की जिन्दगी एक नये और रोचक मोड़ कर आकर खड़ी हो जाती। संध्या जहॉ पढ़-लिखकर आई0 पी0 एस0 अधिकारी बनना चाह रही थी तो ठीक इसके विपरीत पुराने ख्यालों की संध्या की सास संध्या को घर में रहकर ही घर के कामकाज देखने की सलाह देती है लेकिन सूरज संध्या के सपने को साकार करने की ठान लेता है। सूरज ने कई कठिनाइयों के साथ संध्या को पढ़ाया-लिखाया। कन्धे से कन्धे मिलाकर, हाथ में हाथ थामकर सूरज पतिधर्म निभाते हुये संध्या को कामयाबी की दहलीज तक पहुॅचा दिया। कहा भी जाता है कि पति पत्नी एक गाड़ी के दो पहिये के भांति होते है एक भी पहिया डिस बैलेंस हुआ तो जिन्दगी की गाड़ी डगमगाने लगती है।
टीवी पर प्रसारित होने वाला धारावाहिक दीया और बाती के संध्या और सूरज की कहानी काल्पनिक हो सकती है लेकिन नवाबों के शहर लखनऊ के ये दीया और बाती एकदम असली है। इनकी कहानी भी कुछ ऐसी ही है
कल्याणपुर स्थित कंचना बिहारी मार्ग स्थापित इण्टरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेशल एजूकेशन में कार्यरत रज्जन गौतम दीया बाती के सूरज की भांति विभिन्न कदिनाईयों का सामना कर एक नई इबारत रचने के साथ-साथ लोगों समाज के लिये प्ररेणास्त्रोत बनने का कार्य कर रहे है। हम आपको बताते चले कि आई0 आई0 एस0 ई0 में कार्यरत रज्जन गौतम जिन्हें लोग प्यार से रज्जन भइया बुलाते है अपनी पत्नी गीता गौतम के सपनों को पूरा करने के लिये, उन्हें एक कामयाब इंसान बनाने के लिये जी तोड़ मेहनत करने में लगे हुये है। खास बात यह है कि जिस इस्टीट्यूट में सूरज रूपी रज्जन काम करते है उसी इंस्टीट्यूट में वह अपनी पत्नी को पढ़ा रहे है। तपती धूप हो या बरसता पानी, आंधी आये या तूफान लेकिन अपने काम से न डगमगाने वाले मिलनसार रज्जन भइया की पत्नी गीता फिल्म इंस्टीट्यूट ऑफ एमिट्स में एम. ए. मास कॉम की विद्यार्थी है। समय को फालतू कामों में जाया न करते हुये गीता भी कुछ न कुछ कर अपनी मंजिल की तरफ अग्रसर रहती है।
गीता की सक्रियता और अपनी बात को बल देने के लिये मैं यहॉ बराबंकी में आयोजित कृषि सम्बन्धी कार्यक्रम में घटित संस्मरण का अवश्य जिक्र करूंगा। इंस्टीट्यूट के तरफ से कृषि से सम्बन्धित एक कार्यक्रम कई छात्रों की एक टीम को भेजा गया था उस कार्यक्रम में मुख्यअतिथि के तौर पर महामहिम राज्यपाल ने शिरकत की। समरोह के समाप्त होने के पास जहॉ सभी टीम के विद्यार्थी बस की ओर आगे बढ़े तो वहीं ठीक इसी के विपरीत गीता पत्रकारों से मुखातिब हो रहे राज्यपाल तक पहुॅच गई।
निरन्तर प्रयासरत रहकर रज्जन जहॉ गीता के हर सपने को उड़ान देने में लगे है तो वहीं गीता भी चकाचौंध की दुनिया में खुद को न फंसाकर कुछ कर गुजरने का जज्बा रख अपनी मंजिल की तरफ अग्रसर है। हिन्दी उर्दू की तहजीब रखने वाले इस लखनऊ शहर के आई0 आई0 एस0 ई0 के दीया और बाती को सच्चे मन से मंगलकामनायें शुभकामनायें।

पारसमणि अग्रवाल
विशेष- उक्त स्टोरी पर कॉपीराइट है चोरी करने की जहमत न उठायें। शुक्रिया