7 नवंबर 1997 को जबलपुर, मध्य प्रदेश में जन्मे दिजीगर कपूर की ज़िंदगी की शुरुआत ही मुश्किलों से भरी रही। उनके जन्म के तुरंत बाद ही उनके पिता अलग हो गए, और उनकी मां उन्हें गुजरात लेकर आ गईं। मां स्कूल में आया का काम करती थीं, और उन्हीं की छोटी सी तनख्वाह से घर चलता था। आर्थिक तंगी के बावजूद, दिजीगर ने कभी अपने सपनों से समझौता नहीं किया। दिजीगर ने साबरमती हिंदी हाई स्कूल में 12वीं तक पढ़ाई की। स्कूल के हर फेस्टिवल में भाग लेना और एक्टिंग की तरफ झुकाव उनके अंदर के कलाकार को धीरे-धीरे निखार रहा था। लेकिन परिवार की जरूरतों को देखते हुए, उन्होंने 15 साल की उम्र में ही काम करना शुरू कर दिया। उनके मामा का एक होटल था, जहां वे मदद करते थे, और कई बार दूसरों के दिए हुए खाने से दिन काटने पड़ते थे।
डांस की दुनिया में भी उन्होंने कदम रखा और ‘बम बोले’ गाने में बैकग्राउंड डांसर के तौर पर काम किया। लेकिन असली मोड़ तब आया जब 26 साल की उम्र में उनकी मुलाकात मॉडल और एक्टर धर्म सावनी से हुई। धर्म सावनी, जो मिस्टर इंडिया और मिस्टर अहमदाबाद रह चुके थे, ने दिजीगर को अपना मैनेजर बना लिया और कई नए मौके दिलवाए। इसके बाद दिजीगर को सौरव पंड्या के जरिए गुजराती सीरियल्स में काम करने का मौका मिला।'राशी रिक्शावाली' और 'हूं तू अने हुतुतु' जैसी गुजराती सीरियल्स में काम करने के बाद, दिजीगर को कोऑर्डिनेटर बनने का भी अवसर मिला। धीरे-धीरे उन्होंने मुंबई की ओर कदम बढ़ाए, लेकिन गलतफहमी और गलत जानकारी के चलते उन्हें कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। फिर भी, उन्होंने हार नहीं मानी। मुंबई में कभी-कभी स्टेशन पर सोना पड़ा, तो कभी लोगों के रहम पर दिन बिताने पड़े। फिल्म इंडस्ट्री की काली सच्चाई का भी सामना करना पड़ा — जहां कुछ लोगों ने समझाया कि सफलता के लिए समझौतों की जरूरत होती है। दिजीगर को दो बार कड़वे अनुभवों से गुजरना पड़ा, जिससे उनका मानसिक संतुलन हिल गया। लेकिन उन्होंने अपने दर्द को ताकत बना लिया। 2023 में GFFA और GFA अवॉर्ड्स में उन्हें सम्मानित किया गया। मनीष चौधरी की कास्टिंग टीम से जुड़कर उन्होंने 'मदीरा' फिल्म में कास्टिंग हेड के तौर पर काम किया। फिर डायरेक्टर विशाल भट्ट की S2G2 मूवी में क्राउड मैनेजमेंट किया, जिससे उनका नाम IMDb पर दर्ज हुआ। दिजीगर कपूर के पास 4000 से ज्यादा लोगों की एक टीम है। उन्होंने एक्टिंग से इवेंट मैनेजमेंट और कोऑर्डिनेशन तक का लंबा सफर तय किया है। उनकी कहानी उन लोगों के लिए एक प्रेरणा है, जो सपनों की कीमत पर हार मानने की सोचते हैं। दिजीगर की कहानी बताती है कि जिंदगी में कितनी भी मुश्किलें आएं, अगर हौसला और मेहनत साथ हो तो कामयाबी एक न एक दिन जरूर मिलती है। उन्होंने अपने संघर्षों को ढाल बनाकर खुद को मजबूत किया, और आज वो हजारों लोगों के लिए एक मिसाल बन गए हैं। अगर आपके पास सपने हैं और उन्हें पूरा करने का जुनून है, तो मुश्किलें आपकी राह में बाधा नहीं बल्कि आपकी ताकत बन सकती हैं। दिजीगर कपूर की कहानी उस निडरता की गवाही है, जो हर संघर्ष के बाद और ज्यादा चमकती है।
यदि आप भी चाहते है अपने संघर्ष की कहानी लोगों को बताना तो लिख भेजिए 9198268276 (व्हाट्सप्प) पर
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