सवाल खुद सवाल से जान मांगते है।
वक्त भी आज इम्तिहान मांगते है।
कीमती तोहफा दिया था वोट के बदले
फिर भी लोग मत का मान मांगते है।
हमदर्दी क्या दिखाई नसीब ने उनके
हिसाब वो, भूलकर अहसान मांगते है।
वोट भी अब सौदा बन गया
कैसे फिर विकास की शान मांगते है।
-पारसमणि अग्रवाल
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