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भीख नहीँ चुनाव का चन्दा मांग रहा हूँ

एक दिन मै सफर पर जा रहा था।
एक भिखारी भीख माँग रहा था।
मैने पूछा -
भीख क्यों मांग रहे हो भइय्या।
श्रम करके क्यों नहीँ कमाते रूपईया।
वह बोला-
भीख नहीँ चुनाव का चन्दा मांग रहा हूँ।
जनसम्पर्क कर समर्थन मांग रहा हूँ।
भ्रष्टाचारी दल ने मुझे प्रत्याशी बनाया है।
साथ में 8 दलों का समर्थन दिलाया है।
जीतने के बाद आप क्या विकास करोगे।
गरीबो की गरीबी मिटाने का क्या प्रयास करोगे।
सर्वप्रथम तो मै अपना ही विकास करूँगा।
समय मिला तो गरीबो को मिटाने का साहस करूँगा।
आप भी एक रसीद कटवा लीजिये।
अपना समर्थन मुझे ही दीजिये।

-पारसमणि अग्रवाल

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