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अर्थयुग

सुना था अर्थयुग चल रहा है....
जँहा ईमान से लेकर इंसान तक अर्थ की मोहमाया में पाबंद है
पर साहब अब भी बहुत कुछ फ्री में मिलता है
भले ही वह तमीज के "त" के अर्थ से अंजान हो पर निःशुल्क तमीज में रहने की नसीहत देते मिल जाएंगे
#न_डरेंगे_न_झुकेंगे
#हमतोलिखेंगे