विद्वानों की इस महफ़िल में मुझे भी समयदान मिला।
भूल गया लड़कपन जब से मान और सम्मान मिला।
अपनेपन के लिवास में हर मोड़ पर मिले शैतान,
पहचान सके जो मुझे करीब से ऐसा न कोई इंसान मिला।
-पारसमणि अग्रवाल
विद्वानों की इस महफ़िल में मुझे भी समयदान मिला।
भूल गया लड़कपन जब से मान और सम्मान मिला।
अपनेपन के लिवास में हर मोड़ पर मिले शैतान,
पहचान सके जो मुझे करीब से ऐसा न कोई इंसान मिला।
-पारसमणि अग्रवाल
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