Ticker

12/recent/ticker-posts

मुझ जैसा न बनो...मुझ जैसी कामयाबी मिले

जिंदगी के गुजरते लम्हों में अक्सर जिज्ञासा भरे लहजे में ये सुनने को मिल जाता है कि "मुझे आप जैसा बनना है।" वैसे तो अपनी कामयाबी भरे सफर के राज को राज ही रखना चाहता हूँ लेकिन फिर भी इतना जरूर कहना चाहूंगा कि मुझ जैसा बनने की चाहत न रखो बल्कि मुझ जैसी कामयाबी मिले इस बात पर फोकस रखो। दोनों बातें देखने मे जरूर ज्यादा भिन्न न लग रही हो पर दोनों में बड़ा अंतर है।
कामयाबी आपकी गुलाम है न कि आप कामयाबी के लेकिन उसे अपने हथकण्डे में फँसाये रखने के लिए लक्ष्य पर निगाह, दूरदृष्टि, बहते पानी के तरह हर माहौल में खुद को परफेक्ट रखने की कला एवं अनुभवी व्यक्तियों का साथ हो साथ ही आँखें जरूर होती हो मगर उन आंखों में सपने बड़े होने चाहिए।
सफलता की राह पर बढ़ते हुए लोग तमाम तरह की खिल्ली उड़ाएंगे मजाक बनाएंगे आदि समस्याएं पैदा करेंगे और यदि डर गए तो मर गए इसलिए खुद को लेविल को देखते हुए सामने वाले के लेविल का खुद को न बनाते हुए धैर्य सयंम और बुद्धिमत्ता से काम लेना चाहिए क्योंकि वक्त सबको जवाब देता है। किसी बात को लेकर तुरन्त झगड़ना हानिकारक हो सकता है जबकि सही समय आने पर उसे खुद वा खुद उस गलती की सजा भोगनी पड़ेगी क्योंकि सृष्टि के काल चक्र का नियम है कि चना बोगे तो चना उगेगा , गेहूँ बोगे तो गेहूं उगेगा।
कामयाबी की दौड़ में भागते भागते लगभग 250 किलोमीटर दूर आने पर मानो ऐसा हो गया जैसे वनवास और अपरिचित शहर अपरिचित लोग अंजान शहर की मार ने लापरवाह और निष्क्रिय बना दिया है साथ ही समयाभाव में कुछ रिश्तों में भी दरारें डाल दी है जो सम्भवतः आगामी समय में आत्मघाती साबित हो सकती है इसलिए मुझ जैसा न बनकर मुझ जैसी कामयाबी पाने की चाहत को बरकरार रखो। जहन की गहराइयों से उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ