मौजूदा हालातों को देखकर कभी-कभी लगता है कि स्वार्थवाद की चपेट में मानवता की दम घुटने लगी है। लेकिन सम्भवतः यह भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों का ही असर है कि मानवता को अपने कर्मो से संजीवनी प्रदान करने वाले कुछ विरले लोग आज भी इस पावन भूमि पर मौजूद है। उन्हीं में से एक है 67 वर्षीय प्रमोद लक्ष्मण महाजन
आपको बताते चले कि प्रमोद महाजन जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे इंसानों को पुनः जिंदगी देने के उद्देश्य से पुणे की संस्था रि-बर्थ के देशव्यापी अभियान की जिम्मेदारी संभाल 100 दिन में 18 राज्यों में 10हजार किलोमीटर की यात्रा कर लोगों को अंगदान के लिए प्रेरित कर रहे है।
67 वर्षीय प्रमोद लक्ष्मण महाजन ने एक पूर्व सैनिक को बिना जान पहचान के अपनी एक किडनी दान कर दी थी वृद्धावस्था में एक किडनी के सहारे महाजन जी का हौसला आज भी जवान है और वह निकल पड़े है मोटरसाइकिल से जनजागरण के लिए।
यदि एक नजर आंकड़ों पर डाले तो भारत मे अंगदान को प्राप्त करने वालों का अनुपात बहुत ही कम है। यह अनुपात 1:10000 है यह वर्ष 2017 के आंकड़े है। आंकड़ो की जुबानी ब्रेनडेड अवस्था की कहानी की बात करे तो ताजा आंकड़ों के अनुसार प्रतिवर्ष भारत मे 1लाख 5 हजार लोग ब्रेनडेड अवस्था मे चले जाते है लेकिन उनमें से केवल 817 ही लोग दान किए हुए अंग प्राप्त कर पाते है।
आगामी 16 नवम्बर को प्रमोद लक्ष्मण महाजन अपने जनजागरण अभियान के तहत लखनऊ आएंगे उनके स्वागत एवं सम्मान की तैयारियों में आर्यन विंग जोरों शोरों से लग गया है। सिरोंज हैंग आउट में 16 नवम्बर को विंग ने एक समारोह को भी सजाया है जिसमें आई एम ए लखनऊ के एच ओ डी डॉ सूर्यकांत की विशेष उपस्थिति रहेगी।
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