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भूत और भ्रम सवालों की मेढ़ पर कन्फूज

बड़े-बड़े सृजनकर्ताओं का मानना है कि एक लेखक अपनी रचनाओं को स्वंय जीता है, बात सौ फीसदी सही लगती है लेकिन आज जो लिख रहे उसमें कुछ अचरज सा है, कुछ हकीकत है तो कुछ फसाना है क्योंकि अभी तक भूत होने और डर जाने की गुत्थी में खुद उलझे हुए है और ऐेसे में ही इनके डर से बचने के उपाय फोन पर मिल जाने के बाद इसको जानने की लालषा में सुलहग रही चिंगारी एक षोला बन जाती है और सही जवाब न मिलने पर ऐसा लगता है कि जैसे ये दोनों ही अपने अस्तित्व की लड़ाई रह रहे और साथ ही है भूत और भ्रम सवालों की मेढ़ पर कन्फूज ....

बचपन में घर के आंगन में बैठ कहानियां सुना रहे होते दादा-दादी अक्सर राजा-रानी की कहानियों को सुनाया करते थे लेकिन ऐन केन प्रकरेण समय-समय पर इन लम्हों के बीच भूत भी बातचीत का टॉपिक बन जाता है तो बात बात में बताया जाता था कि भूत-बूत कुछ नहीं होता ये सब मन का भ्रम है। चलो ठीक मान लिया कि ये मन का भ्रम है।

लोगों द्वारा अक्सर यह भी सुनने को मिलता है कि 84 लाख योनियां होती है सबकी आयु निष्चित होती है जो आयु पूरी किए बिना ही आकस्मिक कारणों से अपनी आयु पूरी नही कर पाते है और निधन हो जाता है तो वह आयु पूरी होने तक भटकता रहता है। आयु पूरी होने के बाद ही उसे मुक्ति मिलती है। ये और भूत भ्रम है दोनों बातें आपस में कट्टर विरोधाभास प्रदर्षित करती प्रतीत होती है।

आयु पूरी न होने तक मुक्ति न मिल पाने की बातको यह बात भी मजबूती प्रदान करती है जो कि अपने बड़े-बूढ़ों से ही सुनने को मिलती है कि भटकती आत्मा को श्रीमद् भागवत कथा से मुक्ति मिल जाती है। वास्तविकता क्या है यह तो भगवान ही जानें। पर यहां सवाल मन में यह उठता है कि उम्र पूरी न होने के वाबजूद आकस्मिक कारणों से तन छोड़ चुकी आत्मा जब भटकती है तो क्या वही तो भूत नहीं, यानि कि भूत ही भ्रम है बात एकदम झूठी प्रतीत होती है।

मैं यह तो नहीं कह सकता कि भूत होता है या नहीं होता है लेकिन हां कुछ तो है जो भूत होने की अनुभूति करवा देता है। अपने बसेरे के तीसरे मंजिल पर कमरे के बदलने के वाबजूद भी समय-समय पर कुछ डरावना सा महसूस हुआ इसलिए मैं पूर्ण भरोसे के साथ तो कह सकता हॅू कि कुछ न कुछ तो होता है क्योंकि धोखा एक बार ही खाया जा सकता है बार-बार नहीं।

जब भूत और भ्रम की बात हो और ऐसे नजारे मन के कैनवास पर खुद को न उकेर दे तो बात ताज्जुब भरी होगी कि जब देखने को मिल जाता है कि लोगों पर हवा-बैर या जो भी हो उसका प्रभाव हो जाता है जिससे वह अजीब सी हरकतें करने लगता है फिर तंत्र विद्या से उसे ठीक होते देखा है। ये सब बातें अभी तक सवालों के हल को एक गुत्थी के तरह उलझाने में लगी हुई है। दोतरफी बातें सुनकर अब तक यही समझ आया कि भूत और भ्रम सवालों के मेंढ़ पर कन्फूज है।