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सीनियर तो है मगर....................




जब नए शिक्षण संस्थान में दाखिला लेने के बाद नए माहौल में नए टीचर के साथ-साथ नए सीनियर भी मिलते है तो सीनियर कैसे होगें? ये सवाल जहन में ठीक उसी प्रकार कौंधता है जिस प्रकार आसमान में बिजली। और मैं तो जब शिक्षा के लिए पलायन कर शहर की हवाओं से रूबरू हुआ तब तक तो जूनियरटी सीनियरटी का मतलब ही नहीं जानता था क्योंकि ऐसा माहौल मुझे स्नातक तक नहीं मिला बस इतना जानता था कि हां,रैगिंग नाम की भी कोई चीज होती है। नए शहर के नए परिवेश में सुनी रैंगिग की कहानियां जहॉ मन में अजीब सा डर पैदा कर रही थी तो वहीं एक ओर इसको गहराई से जानने के लिए उत्सुकता भी। लेकिन मेरे साथ जो हुआ मेरे सीनियर ने जो किया उसे सुनकर तो आप ये ही कहेगें कि क्या ऐसे होते है सीनियर?

परास्नातक के पड़ाव को पार कर आगे बढ़ने के लिए और सिर्फ यादों को लिए कुछ लोगों से बिछुड़ने के लिए अब 29 दिन बचे हुए है। चूकिं एक लेखक के रूप में पहचान मिली है तो बस इस श्रृखंला के माध्यम से छोटा सा प्रयास है अपने सीनियरों को धन्यवाद कहने का हालांकि उनके स्नेह भरे अत्याचारों के लिए शुक्रिया शब्द बहुत छोटा है होगा आज इसी श्रृखंला में हम बात करते है निधि पाल मैम की।

यथा नाम तथा गुण की कहावत को सत्य रूप प्रदान करती निधि मैम सर्पोट करने के साथ-साथ खुश एवं खुले मिजाज की है। किसी भी लड़की को देखे तो उसकी नफरतों की सूची में मोटापा टॉप में होगा। मोटी न होने के बाद भी मोटी मैम, मोटी मैम कहने के बाद भी गुस्सा दिलाने के लाख प्रयास नाकाम हो जाते है बस ज्यादा गुस्से में यही सुनने को मिलता भक्क पागल....इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है मैम के स्वभाव का। हालांकि सीनियरों में यदि किसी ने सबसे ज्यादा मजा लिया तो वो आप ही है चाहे एक दूसरे सीनियर के साथ घटने वाला चाय काण्ड हो या फिर और भी कोई। लेकिन एक खास बात यह भी है कि जिन मुद्दों पर बात करने से लोग कतराते है उन मुद्दो ंपर भी जरूरत पड़ने पर आपके साथ सवाल जवाब करने को मिला।

घड़ी की टिक-टिक करती सुई ने कब एक साल पूरा कर दिया पता ही नहीं चला लेकिन वो लम्हें वो यादें आज भी है चाहे वो आपके जन्मदिन पर खाने का ऑर्डर कर उन्हें न खाने का हो या फिर क्लास रूम से बैठाकर टिफिन खिलाने का। चाहे पर वो घर पर बुलाकर पथरी का पैकेट दिखाने का हो या फिर जागरण फेस्टिवल में जाने का। चाहे वो दूसरी मैम से लड़ने के बाद सुलह कराने का हो या फिर अपनी रचनाओं पर जबरदस्ती वाह वाह बुलाने का। चाहे वो मूर्खतापूर्ण सवाल पूछने का हो या फिर परेशान करने का।  हर जगह आपका साथ व स्नेह मिला। 

आगामी 15 को आप अपने कैरियर के एक नए पड़ाव को प्रारम्भ करने जा रही। आत्मीय शुभकामनाओं के साथ बस यूं ही कहना चाहूंगा कि यूं ही हमेशा साथ बने रहना। चिढ़ाने पर बुरा न मानना ....मान भी जाओ तो क्या मना लेगें। नए शहर में नए माहौल में नए लोगो के बीच अपनेपन का अहसास करा न सिर्फ एक सीनियर बल्कि एक अभिभावक की भूमिका निभाने के लिए दिल से साधुवाद