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विकास को मोहताज है महात्मा गान्धी का भारत

महात्मा गाँधी ने कहा था कि भारत गाँवो में बसता है लेकिन आजादी के 6 दशक पूरे हो जाने के बाद भी गाँवो में बसने वाले भारत के गाँव ही दुर्दशा का शिकार होकर विकास की राह देख रहे है। यह किसी रटे रटाये सत्ता पक्ष के विरोधियों के आरोप नहीँ है बल्कि ये कड़वी हकीकत है इस बात का स्वम् एक उदाहरण मुझे देखने को मिला गोल-मोल बातों में न घुमाते हुये सीधे मुद्दे की बात करता हूँ और किन हालातों ने मुझे इस बात पर सहमति जताने को मजबूर किया कि विकास का मोहताज है महात्मा गाँधी  का भारत।
सोमवार को राप्तीसागर ट्रेन से कानपुर से उरई आने के लिये रवाना हुआ लेकिन कुछ दूर निकलने पर ही एक आवश्यक काम याद आने के बाद वापस पुनः जाने का फैसला लिया लेकिन ट्रेन में मौजूद यात्रियों ने बताया कि ट्रेन का स्टॉपेज सीधा उरई है इस जानकारी ने मेरी धड़कनों को तेज कर इस ओर सोचने को मजबूर कर दिया कि वापस कानपुर कैसे पहुँचा जाये। सौभाग्य से भीमसेन स्टेशन से करीब दो- ढ़ाई किलोमीटर दूर सिग्नल न मिलने से ट्रेन रुक गयी। खेतों में काम करते लोगों को देखकर यह सोच ट्रेन से नीचे उतर गया कि इनके माध्यम से यँहा से सड़क मार्ग से कानपुर वापस रवाना हो जाऊंगा । जैसे ही मै ट्रेन से नीचे उतरा वहाँ आस-पास खेल रहे किशोर मेरे पास इकट्ठे होने लगे उक्त दृश्य को देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी दूसरे ग्रह से आये अजूबे को देखने भीड़ इकट्ठी हो रही हो।

शेष जल्द ही

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