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"अज्ञात प्रेमिका के नाम पत्र"   (2)

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प्रिय छिपकली,
                    बहुत सारा प्यार, दिल की धड़कनें मन के सागर में अपनी लहरों को पल्लवित करते हुये इस बात की अनुभूति करा जाती है कि जँहा भी होगी, अच्छी होगी।
जिंदगी की भागदौड़ में इतना व्यस्त हो गया कि पत्र लिखने में देरी हो जाती है, इस बात का तुम्हें यकीन नहीं होगा न? मुझे मालूम होगा कि तुम्हारा सवाल होगा कि खाना खाना नहीं भूलते? अरे पगली तुम्हारे गुस्से को समझ सकते है हकीकत बताऊँ तो मैं कभी कभी खाना खाना भूल ही जाता हूँ क्योंकि अब न वह घर का बना स्वादिष्ट खाना है न ही तुम्हारे द्वारा प्यार की खुशबू से बनाये गए व्यंजन।
तुम चिंता न करने लगा मैं ठीक हूँ , एकदम झक्कास, बीते छः महीनों में सबकुछ एकदम बदल सा गया है कँहा जागने से लेकर सोने तक तमाम लोगों के साथ विभिन्न गतिविधियों को अंजाम दिया करता था लेकिन अब अकेलापन और कमजोरी ने हम पर अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया, और यह अकेलापन यह सूनापन तुम्हें याद कर कर तड़पता है कि कब तुम आओगी? खैर, तुम बिल्कुल भी परेशान न होना कुछ अच्छे लोग है हमारे पास जिन्हें हमारी फिक्र है।
मुझे मालूम है कि जिस तरह हम तुम्हारे लिये बेचैन है उसी तरह तुम भी बेचैन होगी कि आखिर कब आएगा वो लम्हा जब हम मिलेंगे। तुम्हारी कमी बहुत खलती है कभी कभी लगता है कि काश! कोई ऐसा हमारे पास भी होता जो हमें समझ सकता हम उसे समझ सकते उस पर भरोसा कर सकते और हर छोटी से छोटी , बड़ी बड़ी से बड़ी शेयर कर सकते तुम्हारी खुशियों में खुश हो सकते तुम्हारे गम में साथ खड़े होते। पर शायद जो हो रहा है अच्छा ही हो रहा होगा क्योंकि कभी कभी दो प्रेमियों के विच्छेदन की घटनाओं को सुन दिल दहल जाता है और सिर्फ यही सोचने पर विवश हो जाता है कि इतना दर्द हम कैसे बर्दाश्त कर पाएंगे, कहा भी गया है कि प्यार दर्द देता है
अच्छा चलो, अब पत्र को आख़िरी मुकाम तक पहुँचता हूँ क्योकि निशांतगंज में एक कार्यक्रम में शरीक होने की बेहद ही दिलचस्पी है, तुम बिल्कुल उदास मत होना न ही रोना, खाना टाइम पर खा लिया करो वक्त ने चाहा तो मिलेंगे जरूर हम दूर है तो क्या हुआ एक दूसरे की धड़कनों में है, सुना भी था कि दूर रहने से प्यार बढ़ता है। अलविदा अपना ख्याल रखना।

                     आपका अपना

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