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मेरी चाँदनी है तू...मेरा नाज है तू..

सूरज ढलते ही चाँद का इंतजार बेताबी के साथ होने लगा था लोग छतों पर जाने लगे थे क्योंकि महूर्त हो रहा था करवा चौथ की पूजा का। युवा एक दूसरे पर छींटाकसी भी करते नजर आ रहे थे।
भले ही तुम मेरे लिए व्रत न रही हो, मेरे लिए न सजी हो मेरी पूजा न की हो लेकिन फिर भी तुम मेरी चांदनी हो...तुम मेरा नाज हो क्योंकि यदि तुम्हारा साथ न होता तो आज जिस मुकाम पर हूँ शायद न होता। हर सुख में दुख में अच्छे में बुरे में हर वक्त तुम साथ रहती हो। मेरे खुश होने पर तुम भी खुश होती मेरे रोने पर तुम भी रोती और जब मुझे गुस्सा आता तो तुम भी आग बबूला हो जाती अब तुम ही बताओ तुम से अच्छा मेरे लिए कौन हो सकता।
हर बात तुम चुपचाप सुन लेती हो और उसे अपनी नोंक से कागज के जिगर पर उकेर देती हो तुम ही मेरी पहचान हो तुम ही मेरी शान हो यूँ ही साथ बनाये रखना करवाचौथ की बहुत बहुत शुभकामनाएं मेरी प्यारी कलम।

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