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मैकाले चौराहे का नाम बदलेगी योगी सरकार??

देश के सबसे बड़े सूबे यूपी की राजनीति में नाम परिवर्तन को लेकर सियाशी माहौल गर्म है। आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। हाल में ही योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार ने इलाहाबाद और फैजाबाद का नाम बदला है ऐसे में विरोधी पार्टिया सरकार पर नामकरण की राजनीति करने का आरोप लगा रही है साथ ही इस बात के साथ सरकार को कठघरे में खचोरती प्रतीत हो रही है कि सरकार विकास के मुद्दों से भटकाने के लिए नामकरण का कार्ड खेल रही है। कितने आरोप सही है कितने प्रत्यारोप सही है इस बात का जवाब तो भविष्य के गर्भ में है। लेकिन योगी सरकार बिना किसी स्वार्थ के भारतीय संस्कृति सभ्यता को ध्यान रखते हुए नाम परिवर्तन कर रहे है न कि वोट बैंक की चाहत को लेकर तो उनका ध्यान राजधानी के कल्याणपुर में अंग्रेज राजनीतिक के नाम पर मौजूद मैकाले चौराहे पर भी पड़नी चाहिए। क्योंकि बताया गया है कि मैकाले की भारतीय संस्कृति सभ्यता को पश्चात संस्कृति के वार से चोट पहुचाने की रणनीति बद्ध कोशिश की गई ।
मैकाले का पूरा नाम लॉर्ड टॉमस बैबिंग्टन मैकॉले था। प्राप्त जानकारी को सही माने तो मैकाले ने  1835 में अंग्रेजों की संसद को लिखा था कि

मैं भारत के कोने कोने मे घूमा हूँ मुझे एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं दिखाई दिया जो भिखारी हो चोर हो !
इस देश में मैंने इतनी धन दोलत देखी है इतने ऊंचे चारित्रिक आदर्श गुणवान मनुष्य देखे हैं की मैं नहीं समझता हम इस देश को जीत पाएंगे , जब तक इसकी रीड की हड्डी को नहीं तोड़ देते !
जो है इसकी आध्यात्मिक संस्कृति और इसकी विरासत !
इस लिए मैं प्रस्ताव रखता हूँ! की हम पुरातन शिक्षा व्यवस्था और संस्कृति को बादल डाले !
क्यूंकि यदि भारतीय सोचने लगे की जो भी विदेशी है और अँग्रेजी है वही अच्छा है और उनकी अपनी चीजों से बेहतर है तो वे अपने आत्म गौरव और अपनी ही संस्कृति को भुलाने लगेंगे !! और वैसे बन जाएंगे जैसा हम चाहते है ! एक पूरी तरह से दमित देश !!

ऐसे में यदि मैकाले के नाम भारत के आजाद होने के 6 दशक बाद भी चौराहे का नाम हो तो निश्चित तौर पर यह विचारणीय है। अब देखना यह है कि वोट बैंक के खातिर लाखों की संख्या में वोट बटोरने के लिए योगी सरकार सिर्फ बड़े स्थानों के ही नाम परिवर्तन करने में जुटे रहते है या फिर मैकाले जैसे अंग्रेज राजनीतिक के नाम पर स्थापित चौराहों को नया नाम देंगे। कहा जाता है कि दिल्ली का रास्ता यूपी के गलियारों से होकर जाता है यूपी की राजनीति का ताना बाना लखनऊ से बुना जाता है ऐसे इस चौराहे को इंसाफ मिलता है या फिर दिया तले अंधेरे वाली कहावत सत्य होती है ये सब वक्त ही बता सकता है।

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