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...........तो क्या दूध पीते हो?



घड़ी की सुई से कदमताल मिलकर निरन्तर चलने वाला वक्त अपने साथ बदलाव को भी सृजित करता चला जाता है जो वर्तमान पर आधुनिकता की पोशाक लिपेट कर भाविष्य को संभावनाओं में लपेट कर अतीत को इतिहास में समेट जाता है। इस बदलाव की चपेट में कुछ ऐसी भी चीजें आ जाती है जिन पर हमें गर्व होता है लेकिन उस पर पर्दापण करते हुए यह कह दिया जाता है कि नया जमाना है, बच्चे मॉर्डन हो रहे है। यही नया जमाना जिनको हमारा समाज बुरा मानती उसी ओर अग्रसित कर देती है और विश्वविद्यालयों, शिक्षण संस्थानों में पढ़ रहे युवाओं को मजबूरन इसके ओर आकर्षित होना पड़ता है नहीं तो ये सुनने को बड़े आराम से मिल जाएगा कि......तो क्या दूध पीते हो?

बात दिल को झकझोर के जरूर रख दे पर चिंतनीय है कल्पनाओं के आधार पर पोस्ट को जन्म नहीं दिया गया। गांव, कस्बों के युवा वहां शिक्षा के आभाव में अपने उज्जवल भविष्य को देखते हुए शहरों के शिक्षण संस्थानों की तरफ रूख कर अपने कस्वों गॉवों से पलायन करते है। भले ही 21 वीं सदी के इस भारत पर पश्चात् संस्कृति की कितनी भी धूल चिपक गई हो लेकिन गॉवों और कस्बे अभी इससे दूर है और सही मायनों में भारतीय संस्कृति को यही संरक्षित किए हुए है।

शिक्षा के लिए पलायन किया युवा शहरों के शिक्षण संस्थान में पहुॅचता है अधिकांश जगह जहॉ की कैटींनों में ऐसे युवा जरूर मिल जाएगें जो नशा के प्रेमी हो। नशा न शब्द को न समझने वाला वह गॉव का विद्यार्थी अब तक ज्वांइट, गांजा आदि के बारे में बड़ी गहराई से समझ लेता है लेकिन वह खुद को इन सब से दूर रखता है इष्टमित्रों द्वारा कहे जाने पर भी वह खुद को इन चीजों के पास न आने देता। खैर ये तो साधारण सी बात, लेकिन अचरज तब होता है जब भारतीय संस्कृति में देवी कहे जाने वाली एवं नवरात्रियों में पूजी जाने वाली नारी शक्ति भी नशे को पीने के लिए प्रोत्साहित करें और मना करने पर सम्भवतः उस युवक को बच्चा बता दिया जाए। अक्सर देखने को मिल जाएगा कि लड़कियां अपने सहपाठी युवाओं को नशे के लिए प्रोत्साहित करते दिख जाएगी जो न करता हो उससे पूछा जाएगा तो उसके मना करने पर यही शब्द सुनने को मिलता है कि क्या यार दूध तो पीते हो? तुम तो बच्चा हो...

नशे ने भी अपना टेंड बदल लिया है कोई भी अटपटा या मन मुताबिक न होने पर यह डॉयलॉग बड़ी आसानी से सुनने को मिल जाएगा कि सस्ता नशा किए हो क्या? जहॉ दूध और दही को अमृत के सामान माना जाता था आज वहॉ दूध और दही की जगह व्हिसकी और वीयर ने ले ली। कहा गया है कि जहॉ नारियों की पूजा होती है वहॉ देवता बसते है लेकिन भविष्य की अधिंकाश नारी को देखकर तो ऐसा लगता है कि यह कहावत भी जल्द ही इतिहास में विलीन हो जाएगी। वाकई हम तरक्की कर रहे है।

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