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प्रिय के दूर जाने पर ह्रदय में होने वाली गतिविधियों से सम्बंधित कविता - कृष्णकुमार





आवत लहर सी झकझोरि देत देह सभै ,
चित्त मे न चैन रहै लागै जैसे 
बाण है ।
कोशिश हजारि करि मन को हटाय रहै ,
टारिहू पे टरै नही लगा रहै
प्राण है ।
भावत न भवन भभात जैसे भूतघर ,
भभखि भभखि जिमि जरत मशान है ।
फाटत कलेज दुख दिल मे समात नही ,
कहै कृष्ण कौन सुख लगि
प्राण है ।



मेरा परिचय 

मैं कृष्णकुमार मैकेनिकल इंजीनियर हूँ अपने जीवन में कविताओ से बहुत प्रभावित हुआ हूँ शायद एहि वजह है की कविताएं लिख पाता हूँ मेरी जन्मभूमि उत्तर प्रदेश है मैं मुम्बई में रहता  हूँ.

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