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ईद पर दी जाने वाली मोदी किट में ॐ सहित अन्य धर्मों के प्रतीक: एक सियासी चाल या फिर.....?

भारत में चुनावी राजनीति और धार्मिक प्रतीकों का एक गहरा संबंध रहा है, और हाल के दिनों में भाजपा द्वारा मुस्लिम समुदाय को ईद के अवसर पर दिए जाने वाले ‘सौगात ए मोदी’ किट ने एक नई बहस को जन्म दिया है। इस किट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा और अन्य नेताओं की तस्वीरों के साथ-साथ हिन्दू, मुस्लिम, सिख और ईसाई धर्मों के प्रतीक चिन्हों का समावेश किया गया है। इन प्रतीकों में ॐ का निशान भी शामिल है, जो कुछ लोगों के लिए धार्मिक सद्भाव का प्रतीक हो सकता है, तो दूसरों के लिए यह राजनीतिक रणनीति का हिस्सा प्रतीत हो सकता है। ईद के मौके पर मुस्लिम समुदाय को सौगात देने के लिए भाजपा ने इस किट में कपड़े, सेवई, खजूर, फल आदि सामान शामिल किया है, ताकि इस अवसर पर मुस्लिम परिवारों की खुशियां बढ़ाई जा सकें। किट पर मोदी और अन्य नेताओं की तस्वीरें होने के साथ-साथ हिन्दू, मुस्लिम, सिख और ईसाई धर्मों के प्रतीक चिन्ह भी प्रिंट किए गए हैं। इन प्रतीकों में ॐ, क्रॉस, पंजा और हिलाल जैसी धार्मिक चिह्न शामिल हैं। यह किट देशभर में मुस्लिम परिवारों तक पहुंचाई जाएगी, और इसमें मुख्य सवाल यह उठता है कि धार्मिक प्रतीकों का इस किट में समावेश किस उद्देश्य से किया गया है। क्या यह एक साधारण धार्मिक सद्भाव का प्रतीक है, या फिर यह भाजपा के राजनीतिक कदम का हिस्सा है, जिससे वह मुस्लिम समुदाय को आकर्षित करना चाहती है? यह किट और उसमें मौजूद प्रतीकों पर कई प्रकार के सवाल उठ रहे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि यह भाजपा की धार्मिक सद्भाव की नीति को दर्शाता है, जिसमें सभी धर्मों का सम्मान किया जा रहा है। इसी आधार पर भाजपा इस किट के जरिए यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि वह सभी समुदायों के प्रति समान रूप से संवेदनशील है और सभी धर्मों का सम्मान करती है। 
दूसरी ओर, यह कदम भाजपा की मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति के रूप में भी देखा जा सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा यह कदम उन आरोपों से बचने के लिए उठा रही है, जो उन्हें मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करने के लिए आलोचना करते हैं। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि भाजपा ने धार्मिक प्रतीकों को शामिल कर एक धार्मिक सद्भाव का माहौल बनाने की कोशिश की है, जिससे मुस्लिम समुदाय के बीच पार्टी की छवि को बेहतर किया जा सके। इस किट पर आठ-आठ नेताओं की बड़ी-बड़ी तस्वीरें लगी हैं, जो इसे पब्लिकसिटी स्टंट जैसा प्रतीत कराती हैं। एक ओर जहां भाजपा का यह कदम अपने राजनैतिक फायदे के लिए दिख सकता है, वहीं यह सवाल भी उठता है कि क्या ऐसी तस्वीरें वाकई में धार्मिक सद्भाव का प्रतीक हैं या फिर एक राजनैतिक प्रचार का हिस्सा हैं। ‘सौगात ए मोदी’ किट में ॐ और अन्य धर्मों के प्रतीकों का समावेश भाजपा की नीतियों और चुनावी रणनीति के बीच एक जटिल समीकरण प्रस्तुत करता है। जहां एक ओर यह धार्मिक सद्भाव का प्रतीक हो सकता है, वहीं दूसरी ओर यह भाजपा के मुस्लिम वोट बैंक को साधने का एक हटकंडा भी हो सकता है। भाजपा का यह कदम विरोधियों द्वारा लगाए गए मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोपों से बचने की कोशिश प्रतीत होता है, लेकिन इसके असली उद्देश्य का खुलासा भविष्य में ही होगा। इस किट के माध्यम से भाजपा अपने राजनीतिक उद्देश्यों को लेकर एक नई दिशा में कदम रख रही है, जिसका असर आगामी चुनावों में देखा जा सकता है।

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2 टिप्पणियाँ

  1. क्या मदरसे के मुल्लाओं को पंद्रह हज़ार वेतन सर कार दे रही है?

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  2. राजनीतिक पार्टी राजनीतिक फायदे के लिए सर्व धर्म समभाव के अच्छे संदेश के साथ सर्व समाज के सद्भाव उल्लास में सहयोग देकर अनुकरणीय कार्य कर रही है

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